विद्युत वितरण कंपनियों का ऋण 4.5 लाख करोड़ पर पहुँच सकता है 

दिल्ली बिजली की माँग में कमी और कोविड-19 के कारण नकदी के नुकसान के बीच विद्युत वितरण कंपनियों का ऋण चालू वित्त वर्ष के अंत तक रिकॉर्ड 4.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच सकता है। बाजार अध्ययन एवं साख निर्धारक कंपनी क्रिसिल की आज जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने विद्युत वितरण कंपनियों के लिए 90 हजार करोड़ रुपये के ऋण की व्यवस्था की है जिससे उन्हें लंबे समय से लंबित अपने बिलों का भुगतान करने में मदद मिलेगी। इसके बावजूद माँग में कमी और कोविड-19 के महामारी के बीच हो रहे नुकसान की वजह से चालू वित्त वर्ष में उनका ऋण 30 प्रतिशत बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुँचने की आशंका है। यह अब तक का उच्चतम स्तर होगा।पंद्रह राज्यों की 34 विद्युत वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति के आधार तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय देश की सिर्फ 20 फीसदी विद्युत वितरण कंपनियों के पास ही अपने ऋण के भुगतान के लिए नकदी उपलब्ध है। बिजली की माँग में कमी, लागत बढ़ने और महामारी के कारण हुये नुकसान से मौजूदा वित्त वर्ष में स्थिति और खराब होगी।क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने कहा कि लागत बढ़ने और नकदी के प्रवाह में कमी के कारण प्रति इकाई बिजली पर होने वाला नुकसान इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 83 पैसे हो जायेगा। राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी बढ़ाये जाने के बावजूद पिछले वित्त वर्ष की तुलना में नकदी का नुकसान दुगुना होकर 58 हजार करोड़ रुपये पर पहुँच जायेगा। इस साल अप्रैल और मई में बिजली की माँग पिछले साल के इन्हीं दो महीनों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम रही। हालाँकि अब इसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन पूरे वित्त वर्ष के दौरान इसमें करीब 31 अरब इकाई यानी दो प्रतिशत की गिरावट रह सकती है। बिजली की अधिक कीमत देने वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं की माँग सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। वितरण कंपनियों ने उपभोक्ताओं को बिल भुगतान बाद में करने की छूट दी है जिससे उनका संग्रह प्रभावित हो सकता है।