उद्योगपतियों को अब पहले से ज्यादा राहतें

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से सरल होगी मंजूरियों की प्रक्रिया, ऑनलाइन स्वयं प्रमाणन सुविधा शुरू

शिमला – मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की सुविधा के लिए ऑनलाइन स्वयं प्रमाणन (सेल्फ सर्टिफिकेशन) सुविधा आरंभ की। सरकार की इस पहल से व्यापार करने में आसानी (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के तहत प्रक्रियाओं के सरलीकरण के साथ ही उद्यमियों को राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यमियों को अपने उद्यम की स्थापना से पहले संबंधित विभागों से सभी आवश्यक मंजूरी लेनी पड़ती थी, जिसके परिणामस्वरूप आमतौर पर परियोजना लागत में अनावश्यक वृद्धि और समय की बर्बादी होती थी। उन्होंने कहा कि यह ऑनलाइन प्रमाणन सुविधा न केवल उद्यमियों को कठिन प्रक्रियाओं से बचाएगी, बल्कि उद्यमों को शीघ्र स्थापित करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन स्वयं प्रमाणन पोर्टल सेवा आरंभ होने के बाद उद्यमी पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से नोडल ऐजेंसी के समक्ष आशय कथन (डेक्लेरेशन ऑफ इंटेंट) प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि नोडल ऐजेंसी सात दिन के भीतर उद्यमियों को इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में पावती प्रमाण पत्र प्रदान करेगी। उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर ने व्यापार में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। निदेशक उद्योग हंसराज शर्मा ने ऑनलाइन पोर्टल के प्रमुख बिंदुओं पर प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव अनिल खाची, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव डा. आरएन बत्ता, विशेष सचिव उद्योग आबिद हुसैन सादिक इस अवसर पर उपस्थित रहे। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग राम सुभग सिंह ने कहा कि हिमाचल राजस्थान के बाद ऐसा दूसरा प्रदेश है, जिसमें यह अध्यादेश लाया गया है।

आज से मिलेगी नई सुविधा

राज्य में पहली जुलाई, 2020 से उद्यमों की नई परिभाषा लागू होगी। अब 50 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित इकाइयां और मशीनरी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की श्रेणी में आएंगे। राज्य में लगभग 99.5 प्रतिशत उद्योग इस श्रेणी में आते हैं।

इनसे मंजूरी की जरूरत नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुविधा के आरंभ होने के बाद, उद्यम के कार्य शुरू होने तक (जो भी पहले हों) के तीन वर्ष की अवधि तक विभिन्न कानूनों जैसे हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम-1994, नगर निगम अधिनियम-1994, अग्निशमन सेवा अधिनियम-1984, रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट-1968, दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम-1969, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम-2006 और शहर और नगर नियोजन के तहत किसी भी प्रकार का निरीक्षण नहीं किया जाएगा और न ही संबंधित विभाग से कोई मंजूरी मांगी जाएगी।