आर्थिक हालात पर श्वेत पत्र दे सरकार, मुकेश अग्निहोत्री बोले, जयराम सरकार ने वित्तीय अराजकता में धकेला राज्य

By: Jul 7th, 2020 12:07 am

..नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का आरोप; वित्तीय स्थिति तहस-नहस, कर्ज के बिना कोई चारा नहीं, विधायक निधि फिर शुरू करने को उठाई आवाज, फिजूलखर्ची का भी कसा तंज

शिमला – नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार ने राज्य को वित्तीय अराजकता में धकेल दिया है और अब विकास कार्यों के लिए बजट में सीलिंग लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पास अब कर्जों के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है और राजस्व प्राप्तियां भी कोरोना काल में दम तोड़ गई हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला में एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार से भी कोई मदद प्रदेश सरकार हासिल नहीं कर पाई है और जीएसटी का बकाया भी लंबित है। इन अढ़ाई सालों में डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश में फिजूलखर्ची पर कोई लगाम नहीं लगाई और प्रदेश के वित्तीय हालात तहस-नहस कर दिए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को वित्तीय स्थिति स्पष्ट करने के लिए श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार कांग्रेस को कोसने की बजाय इन अढाई सालों की अपनी नाकामियों का कच्चा चिट्ठा जनता के समक्ष रखे। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने में सरकार पूरी तरह विफल हुई है। कांग्रेस व भाजपा विधायकों की संयुक्त मांग के बावजूद प्रदेश सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया। उन्होंने दलील दी कि इस वैश्विक महामारी के दौर में मुख्यमंत्री ने सिर्फ राज्य के नाम संदेश जारी किए, जबकि कोरोना निरंतर प्रदेश में फैलता जा रहा है। सौ दिन के कोरोना काल के बाद सरकारी तंत्र दम तोड़ गया है और अब जनता को इस कोराना काल में अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आलम यह है कि फिक्स्ड खर्चों के लिए सरकार व्यय कर रही है और विकास के कार्यों के लिए पैसा नहीं है। इसलिए सभी विभागों को उपलब्ध बजट के 35 फीसदी से ज्यादा खर्चा न करने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि विभागों के पास पड़े़ 12 हजार करोड़ रुपए व्यय करने की योजनाएं बनाई जा रही है। यही नहीं, राशन की स्कीम से लाखों लोगों को वंचित करके सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपए बचाने का प्रयास खेदजनक है।

विभागों की मॉनिटरिंग के लिए जरूरी थे मंत्री

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस सरकार का आधा सफर हो चुका है और अभी भी अधिकांश महकमे मुख्यमंत्री खुद संभाले हुए हैं। स्वास्थ्य, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले व ऊर्जा जैसे महकमों के मंत्री हटने के बाद भी सरकार रिक्त पड़े मंत्रियों के पदों पर तैनाती नहीं कर पाई, जबकि कोरोना काल में इन विभागों की मॉनिटरिंग के लिए मंत्री जरूरी थे।

अफसरशाही हावी, यहां हो रहे एमर्जेंसी जैसे काम

कोरोना काल में लोकतांत्रिक प्रणाली का भट्ठा बैठ गया है और अफसरशाही हावी हो रही है और आपातकाल की तरह कार्य हो रहे हैं। इसका खामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड़ेगा। सरकार ने राज्य की सीमाओं को अन्य राज्यों के लागों की आवाजाही के लिए पूरी तरह खोल गया है, जिससे प्रदेश में कोरोना महामारी के फैलने का खतरा और बढ़ गया है। इसलिए सरकार इस पर पुनर्विचार करे और मात्र केंद्र के फरमान पर अमल करने के बजाय अपनी भौगोलिक परिस्थिति, वातावरण को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए।


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