बाघों का अवैध शिकार रोकें
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा
भारत पूरी दुनिया में प्राकृतिक सौंदर्य में नंबर एक माना जाता है। प्रकृति की सुंदरता जंगली जीव-जंतुओं से भी होती है। लेकिन आज इनसान ने भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में प्रकृति की नाक में दम कर दिया है। प्रकृति से खिलवाड़ करके उसने जंगली जीव-जंतुओं का जीना दुश्वार कर दिया है। अखिल भारतीय बाघ संख्या अनुमान रिपोर्ट के अनुसार देश में 2014 में इनकी संख्या 1400 थी, जो कि 2019 में लगभग 2977 हो गई।
यह अच्छी बात है कि जंगल के राजा की संख्या बढ़ी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को बाघों के संरक्षण के साथ-साथ जंगलों के संरक्षण की तरफ भी गंभीरता से ध्यान देना होगा ताकि बाघ और अन्य जंगली जीव-जंतु जंगलों में ही विचरण करें। ये रिहायशी इलाकों का रुख करके लोगों के लिए परेशानी और किसी की जान के दुश्मन न बनें। इनकी प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा भी जंगल संरक्षण से टल जाएगा। वन्य जीवों के संरक्षण के लिए तथा अवैध शिकार रोकने के लिए सरकार ने ढेरों योजनाएं चलाई हैं। करोड़ों की धनराशि भी खर्च की जा रही है। लेकिन इतनी राशि कहां और कैसे खर्च होती है, यह एक राज ही रहता है और यही राज आज बाघों की जान का दुश्मन और इनकी संख्या में कमी का कारण बनता जा रहा है। बाघ संरक्षण जरूरी है।
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