भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जताई चिंता, कोविड-19 में कृषि क्षेत्र को होगा भारी नुकसान

By: Jul 14th, 2020 6:17 pm

नई दिल्ली — कोरोना वायरस ‘कोविड-19 महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र को कई प्रकार की रियायतें दिए जाने के बावजूद किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कोरोना संकट के दौरान कृषि क्षेत्र पर हुए उसके असर को लेकर जो प्रारंभिक अध्ययन कराए हैं, उसके आंंकड़े चौकाने वाले हैं। लॉकडाउन का बागबानी क्षेत्र पर गहरा असर हुआ है। परिवहन सुविधा का अभाव और बाजार बंद होना नुकसान के प्रमुख कारणों में है। केंद्रीय खट्टे फल अनुसंधान संस्थान, नागपुर के अनुसार खट्टे फलों की खेती करने वाले किसानों को करीब 2995 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केंद्र गैंगटोक के मुताबिक आर्किड की बिक्री में एक सौ प्रतिशत तक कि गिरावट आई। राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र तिरुचिरापल्ली का आकलन है कि इस दौरान केला उद्योग को 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान तिरुवनंतपुरम के अनुसार कंद फसलों की खेती करने वाले किसानों को 38.32 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है। भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान कोझिकोड के मुताबिक मजदूरों की कमी और आवागमन में असुविधा के कारण करीब 475 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इन मसालों में काली मिर्च, मिर्च, अदरक, हल्दी, इलाइची व लौंग आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र, अजमेर की रिपोर्ट के अनुसार पूरे कृषि क्षेत्र की तुलना में बीजीय मसाला फसलों को कम नुकसान हुआ। परिवहन सुविधा के अभाव और प्रयोगशाला जांच सुविधाओं की कमी के कारण निर्यात योग्य मसालों का मूल्य पिछले साल के मुकाबले आठ से 10 प्रतिशत कम मिला।
वर्ष 2019-20 के पहले अग्रिम पूर्वानुमान के अनुसार वर्ष 2018-19 की तुलना में सब्जियों की कुल पैदावार में 2.64 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। इससे यह पता चलता है कि सब्जियों की पैदावार पर असर नहीं हुआ। पाम की खेती करने वाले किसानों पर भी लॉकडाउन का कोई असर नहीं हुआ।


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