चरण स्पर्श

By: Jul 4th, 2020 12:20 am

बाबा हरदेव

कुछ समय पूर्व वैज्ञानिकों ने अपने अनुभवों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि मनुष्य एक बैटरी की भांति है, जिसमें बड़ी लो वोल्टेज की ऊर्जा प्रवाहित हो रही है और मनुष्य के शरीर की गतिविध इस बहुत कम शक्ति वाली इस ऊर्जा से चल रही है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मनुष्य का शरीर एक अद्भुत यंत्र है, जिसमें विद्युत की तरंगे लगातार दौड़ रही हैं और वह इतनी कम वोल्टेज से सारा काम चला रहा है। इंग्लैंड में एक वैज्ञानिक ने कुछ तांबे की विद्युत जालियां विकसित की हैं और ये जालियां बड़े काम की सिद्ध हुई हैं। यह वैज्ञानिक व्यक्ति के शरीर के नीचे तांबे की जालियां रख देता है और फिर व्यक्ति के हाथों में और पैरों में तांबे की तार बांध देता है और इसके द्वारा व्यक्ति के शरीर की ऋण विद्युत को व्यक्ति के शरीर की धन विद्युत को इनसे जोड़ देता है यानी व्यक्ति के भीतर जो विद्युत के पोल हैं इनको जोड़ देता है। जिसके परिणाम स्वरूप इनके जुड़ते ही व्यक्ति एकदम शांत होने लगता है और यदि कहीं विपरीत तार जोड़ दिए जाएं तो इससे शांत व्यक्ति भी अशांत होने लगता है क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति के भीतर ऊर्जा अस्त-व्यस्त होने लगती है। ऊपर वर्णन किए गए रहस्य को भारत के ऋषि-मुनि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सदा ही जानते रहे हैं क्योंकि चरण-स्पर्श और श्रद्धा के श्रेष्ठतम रहस्य को जितना भारत की इन अलौकिक विभूतियों ने अनुभव किया है, संसार के किसी भी अन्य देश ने यह अनुभव प्राप्त नहीं किया है। श्रद्धा को प्रकट करने का जो उपाय इन्होंने खोजा है यह बड़ा ही अद्भुत उपाय है। इन विद्वनों का मत रहा है कि पूर्ण सद्गुरु के चरणों में सिर रखना वास्तव में सद्गुरु के साथ साधक की ऊर्जा को जोड़ना है क्योंकि पूर्ण सद्गुरु के चरणों में सिर रखते ही सद्गुरु की जो पूर्ण आध्यात्मिक व अलौकिक विद्युत धारा है वह साधक के शरीर में प्रवाहित होनी आरंभ हो जाती है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि ऐसी विद्युत धारा के प्रवाहित होने के लिए मात्र दो ही स्थान महत्त्वपूर्ण माने गए हैं, जहां से ये विद्युत बाहर जाती है और जहां विद्युत ग्रहण करनी हो उसके लिए विज्ञान के अनुसार वर्गाकार स्थान होना चाहिए। जहां से विद्युत ग्रहण की जा सके और व्यक्ति के शरीर में उसके सिर से उत्तम स्थान और कोई नहीं है। यानी सद्गुरु के चरणो से प्रवाहित होने वाली अलौकिक विद्युत को साधक अपने सिर को चरण-स्पर्श द्वारा ग्रहण करता है और इसके साथ ही जब पूर्ण सद्गुरु अपने पवित्र हाथों को साधक के सिर पर आशीर्वाद प्रदान करने हेतु रखता है, तो इस प्रकार से सद्गुरु के चरणों की अंगुलियों से तथा हाथों की अंगुलियों से प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को सहज ही ग्रहण करता है।  यही कारण है कि विद्वानों ने साधक के लिए नीचे बैठने तथा गुरु के आसन को सदा ऊपर रखने के विषय में बताया है। अतः साधक के हृदय में श्रद्धा का भाव पूर्ण रूप से उत्पन्न हुआ, तो ब्रह्मज्ञान की अमृत धारा उसकी ओर बहने लगती है। अंत में यह कहना सही होगा कि जहां अध्यात्म में पूर्ण सद्गुरु के चरणों में सिर रखना और चरण स्पर्श करना गुरसिख की पूर्ण श्रद्धा और पांच इंद्रियों के पार जाने का उपाय है। क्योंकि पांचों इंद्रियों का नियंत्रण सिर के आसपास होता है और फिर झुकते ही यह सिर के साथ झुक जाती हैं। अतः चरण स्पर्श की इस पवित्र प्रक्रिया में विद्वान का रहस्य भी छिपा हुआ है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App