कोरोना के बहाने मुलाजिमों की छंटनी हरगिज मंजूर नहीं, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने प्रदेश भर में मनाया प्रतिरोध दिवस, सरकार की नीतियों के खिलाफ खोचा मोर्चा

By: Jul 4th, 2020 12:05 am

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने प्रदेश भर में मनाया प्रतिरोध दिवस, सरकार की नीतियों के खिलाफ खोचा मोर्चा

शिमला – सीटू, इंटक, एटक सहित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशंस के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर में राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस मनाया गया। इस दौरान देश के करोड़ों मजदूरों ने अपने कार्यस्थल व सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाया। सभी जिलाधीशों के माध्यम से  प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भेजा गया है। इसमें केंद्र सरकार से श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई। मजदूरों को कोरोना काल के तीन महीनों का वेतन देने, कोविड के नाम पर उनकी छंटनी पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपए की आर्थिक मदद की मांग की गई। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें, नहीं तो आंदोलन तेज होगा। शुक्रवार को शिमला में डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इसमें सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, इंटक उपाध्यक्ष पूर्ण चंद, उपाध्यक्ष राहुल मेहरा, हिमाचल किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप तंवर, किसान संघर्ष समिति प्रदेश महासचिव  संजय चौहान, जनवादी महिला समिति प्रदेश महासचिव फालमा चौहान, डीवाईएफआई राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बलबीर पराशर, सत्यवान पुंडीर, बाबू राम, बालक राम, विनोद बिरसांटा, हिमी देवी, दलीप, वीरेंद्र, नोख राम, राम प्रकाश, कपिल, अमित, अनिल, सुरेंद्र बिट्टू शामिल रहे। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के हिमाचल प्रदेश संयोजक डा. कश्मीर ठाकुर,  एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज व सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि देश में तालाबंदी के दौरान कई राज्यों में श्रम कानूनों को खत्म करने के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशंस ने देशव्यापी प्रदर्शन किए। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के जिला, ब्लॉक मुख्यालयों व कार्यस्थलों पर जोरदार प्रदर्शन किए गए। उन्होंने कहा है कि अन्य प्रदेशों की तरह ही कारखाना अधिनियम 1948 में तबदीली करके हिमाचल प्रदेश में काम के घ्ांटों को आठ से बढ़ाकर बाहर कर दिया गया है। इससे एक तरफ मजदूरों की भारी छंटनी होगी वहीं दूसरी ओर कार्यरत मजदूरों का शोषण अधिक होगा। इसी तरह के अन्य इन मजदूर विरोधी कदमों को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा है व श्रम कानूनों में बदलाव रोकने की मांग की है।

सरकारी महकमे में काम रहे 76 कर्मचारियों से छिन गई नौकरी

शिमला – राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के तहत आने वाले सिविल सप्लाई कारपोरेशन में काम करने वाले 76 कर्मचारी बेरोजगार कर दिए गए हैं। कोविड के इस काल में जहां युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रहीं, वहीं सरकारी विभाग में लगे इन कर्मचारियों को मिला हुआ रोजगार खत्म हो गया है। इनको हटाने के निर्देश दिए गए हैं। ये लोग एक प्रोजेक्ट के तहत ठेके  पर लगाए गए थे, जो कि टीपीडीएस ऑपरेशन स्कीम के तहत लगे थे। बताया जा रहा है कि यह स्कीम 31 मार्च को समाप्त हो गई थी, लेकिन कोविड के कारण दफ्तरों के बंद होने से इसे 30 जून तक बढ़ाया गया था। अब क्योंकि प्रोजेक्ट पूरा हो गया है, लिहाजा इसे बंद कर दिया गया है। इसको लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ई-गवर्नेंस सोसायटी के माध्यम से चल रहा प्रोजेक्ट पूरा हो गया है, जिसके साथ करार को अब खत्म कर दिया गया है। ऐसे में जो कर्मचारी इनके माध्यम से लगाए गए थे, उनको हटा दिया गया है। सभी जिलों में इस तरह से डाटा एंट्री ऑपरेटर लगे थे। ऐसे में बेरोजगार हुए इन कर्मचारियों का भविष्य संकट में आ गया है।


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