कोरोना ने रोकी श्रीखंड यात्रा; हर साल 15 जुलाई को रवाना होते थे भक्त

By: Jul 15th, 2020 12:06 am

उपायुक्त कुल्लू ने जारी किए फरमान; इस साल महादेव के दीदार नहीं कर सकेंगे श्रद्धालु, हर साल 15 जुलाई को रवाना होते थे भक्त

मनाली – हर तरफ कहर बरपाए कोरोना ने श्रीखंड यात्रा पर भी रोक लगा दी है। सावन माह में जहां इस यात्रा में देश-विदेश से भक्त भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते थे, वहीं इस बार किसी को भी श्रीखंड यात्रा पर जाने की प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में जहां प्रशासन ने श्रीखंड जाने वाले रास्ते पर पुलिस के जवानों को तैनात किया है, वहीं चोरी छिपे जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी बात कही है। उपायुक्त कुल्लू डा. ऋचा वर्मा ने कहा कि कोविड-19 के खतरे और श्रीखंड जाने वाले रास्ते में बीते साल हुई भारी बर्फबारी के खतरे को देखते हुए एसडीएम आनी की तरफ  से भी यात्रा को निलंबित करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि इस साल श्रीखंड यात्रा पर रोक रहेगी। उल्लेखनीय है कि श्रीखंड यात्रा हर साल 15 जुलाई से शुरू होती है। ऐसे में इस बार कोरोना के खतरे ने श्रीखंड यात्रा पर रोक लगा डाली है। विश्व की सबसे कठिनतम धार्मिक यात्राओं में शुमार हिमाचल के कुल्लू जिला की ऐतिहासिक श्रीखंड महादेव यात्रा इस वर्ष नहीं होगी। पिछले सात सालों से ट्रस्ट के अधीन हो रही श्रीखंड महादेव यात्रा पर इस वर्ष कोरोना के खौफ  को देखते हुए प्रशासन ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। यात्रा से पूर्व जो जूना अखाड़ा निरमंड से माता अंबिका की छड़ी यात्रा दर्शनों को निकलती थी, उस पर भी प्रशासन ने रोक लगाई है। इस छड़ी यात्रा में साधु संतों सहित माता अंबिका के कारकून भाग लेते थे, जो पूर्णिमा के दिन महादेव की पूजा अर्चना के बाद लौटते हैं।

इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ

ऐसा इतिहास में पहली बार होगा, जब श्रीखंड महादेव का कोई भी श्रद्धालु दीदार नहीं कर पाएगा और माता अंबिका की छड़ी भी श्रीखंड नहीं पहुंच पाएगी। श्रीखंड महादेव यात्रा में अब तक करीब तीन दर्जन श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद श्रीखंड महादेव के दीदार के लिए श्रद्धालु हर खतरा पार कर शिवलिंग तक पहुंचने की जिद करते हैं।

30 किलोमीटर पैदल सफर

हर वर्ष 15 जुलाई से शुरू होने वाली श्रीखंड यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को करीब 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है। श्रद्धालु संकरे रास्ते में ग्लेशियरों पार कर करीब 18500 फीट की चढ़ाई कर श्रीखंड महादेव तक पहुंचते हैं। बीते वर्ष भी खराब मौसम और खतरनाक रास्तों की वजह से यात्रा चार दिन तक ही हो पाई थी।

नहीं माने, तो होगी कानूनी कार्रवाई…

स्थानीय पंचायतों चायल, भालसी, अरसु, सराहन, नोर, तुनन, निशानी और रहाणु की तरफ  से भी इस यात्रा को स्थगित करने करने की अपील की गई है। प्रशासन का कहना है कि आम जनता की सुरक्षा और सरकार के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यात्रा को निलंबित किया जाता है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और आगामी आदेशों तक जारी रहेंगे। यदि कोई भी इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


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