कोरोना से टक्कर ले रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता; सोलन की 211 पंचायतों में घर-घर जाकर लोगों को कर रहीं जागरूक

By: Jul 3rd, 2020 12:06 am

धर्मपुर में एक्टिव केस फाइडिंग अभियान के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

शिमला – महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन कार्यरत समेकित बाल विकास परियोजना को ग्रामीण क्षेत्रों में शिशुओं, किशोरियों, महिलाओं एवं धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने का आधार माना जाता है। समेकित बाल विकास परियोजना में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं तथा इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूह इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की अग्रिम कोरोना योद्धा की भूमिका ने सभी के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। अपने कार्य के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकओं तथा इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूहों ने सोलन जिला की सभी 211 ग्राम पंचायतों में न केवल जन-जन को कोरोना वायरस संक्रमण के विषय में जागरूक किया, अपितु प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से आरंभ किए गए महत्त्वाकांक्षी एक्टिव केस फाइडिंग अभियान में भी सक्रिय भूमिका निभाई। कोविड-19 संक्रमण के विषय में लोगों को जागरूक बनाने तथा जिला के प्रत्येक आवास में पहुंचकर लोगों से इस विषय से जानकारी एकत्र करने के लिए कार्यान्वित किए गए एक्टिव केस फाइडिंग अभियान में 590 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं ने कार्य किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं और इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूहों ने कोविड-19 संक्त्रमण से बचाव के लिए लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने, दो व्यक्तियों के मध्य कम से कम दो गज की दूरी बनाने और बार-बार अपने हाथ साबुन से धोने अथवा अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर से स्वच्छ करने की दिशा में प्रेरित भी किया। समेकित बाल विकास परियोजना से जुड़े इन सभी अग्रिम पंक्ति कोरोना योद्धाओं की सक्रियता का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने अब तक सोलन जिला में लोगों को एक लाख 25 हजार कपड़े से बने मास्क बांटे हैं। प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल की अगवाई में 60 से अधिक ग्राम पंचायतों में लगभग 25 हजार से अधिक मास्क वितरित किए गए। जिला की सभी ग्राम पंचायतों में घर पर मास्क बनाने की विधि एवं उचित प्रकार से मास्क पहनने का तरीका भी व्यवहारिक रूप से बताया गया। लॉकडाउन अवधि में गत तीन माह में जिला के सभी आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत रहे और लाभार्थियों को उनके आवास पर पोषाहार उपलब्ध करवाया गया। इस अवधि में तीन वर्ष तक की आयु के लगभग 18700, 3-6 वर्ष तक की आयु के 7700 तथा 7800 गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पोषाहार उपलब्ध करवाया गया।


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