डिपुओं में राशन की कमी नहीं सरसों का तेल इस बार सस्ता

By: Jul 13th, 2020 12:01 am

कोराना काल में सरकारी राशन के डिपुओं में राशन की कोई कमी नहीं थी। लोगों को सरकारी योजनाओं के तहत पर्याप्त रूप से राशन मिला और यही वजह है कि संकट काल में राशन की कमी का कोई हल्ला प्रदेश में नहीं मचा। प्रदेश सरकार का खाद्य आपूर्ति महकमा तत्परता के साथ राशन की उपलब्धता के लिए जुटा रहा, जिसने बिना थके काम किया। इसका श्रेय जहां विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को जाता है, वहीं उन डिपो होल्डर को भी जाता है, जिन्होंने लोगों की सुविधा और परेशानी को ध्यान में रखा। प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली किस तरह चली, इस पर विभाग के निदेशक आबिद हुसैन सादिक से राज्य ब्यूरो प्रमुख ने दिव्य हिमाचल टीवी पर विस्तार से बात की। पेश है बातचीत के अंश—

दिव्य हिमाचल : राशन डिपो में रिफाइंड तेल नहीं दिया गया और दूसरे तेल के दाम भी बाजार से ज्यादा हैं?

आबिद : कोरोना की वजह से लोगों को डिपो में रिफाइंड तेल बंद किया गया था, मगर मस्टर्ड ऑयल दिया गया। पहले यह 88 रुपए प्रति लीटर मिल रहा था, लेकिन अब नए टेंडर में सबसिडी के साथ लोगों को इस महीने से 78 रुपए प्रति लीटर की दर से मिलेगा। बाजार से काफी कम दाम पर इसकी सप्लाई की जाएगी।

दिहि : कोरोना काल में किस तरह का दबाव व चुनौती थी?

आबिद : कोविड के संकटकाल में सप्लाई चेन को बरकरार रखना जरूरी था और यही सबसे बड़ी चुनौती थी। दालें बाहरी राज्यों से आती हैं और बाहर से वाहनों को यहां तक पहुंचाना अहम था, जिसके लिए दूसरे राज्यों से बातचीत कर व्यवस्था सामान्य बनाई। विभाग ने इसके लिए अथक प्रयास किए।

दिहि : बायोमीट्रिक मशीनों की व्यवस्था अभी भी शुरू नहीं, जबकि लिफ्ट तक चल पड़ी है?

आबिद : संक्रमण का खतरा देखते हुए इसे बंद किया गया था, मगर अब स्वास्थ्य विभाग को लिखा गया है। उनसे पूछा गया है कि कब से बायोमीट्रिक मशीनों को शुरू करें।

दिहि : इनकम टैक्स देने वालों की सूची ही नहीं, तो कैसे बाहर करें?

आबिद : इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को लिखा गया है, लेकिन उनकी मंजूरी दिल्ली से आएगी। जैसे ही सूची मिलेगी, यहां कैबिनेट का फैसला लागू कर दिया जाएगा।

दिहि : उद्योग निवेश के लिए दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी कब होगी?

आबिद : कोरोना की वजह से रफ्तार रुकी जरूर है, मगर इस साल के अंत तक दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी करने की तैयारी है। अब उद्योग जगत ने फिर रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है

दिहि : केंद्र से मेगा बल्क ड्रग पार्क की क्या उम्मीदें, कितनी पुख्ता दावेदारी है?

आबिद : प्रदेश की इसके लिए दावेदारी पुख्ता है क्योंकि हिमाचल पहले से ड्रग फार्मा का हब है। यहां 1600 एकड़ जमीन देख ली गई है और मामला राजस्व विभाग को भेजा है। अगले महीने तक गाइडलाइन आएगी, जिसके अनुसार हिमाचल दावेदारी करेगा। इसमें शर्तें कम करने के लिए केंद्र सरकार को लिखा गया है।

दिहि : परिवहन के दौरान चावल बोरियों से गिर जाता है, इसकी भरपाई डिपो होल्डर को नहीं होती

आबिद : ऐसा हो जाता है, लेकिन सुनिश्चित बनाएंगे कि इस नुकसान की भरपाई की जाए।

दिहि : परिवार के मुखिया की मृत्यु पर राशन कार्ड बदलने की जटिल प्रक्रिया है, जबकि यह सरल होनी चाहिए?

आबिद : इस प्रक्रिया में डेढ़ महीने का समय लगता था जिसे कम किया जा रहा है, क्योंकि पहले ही किसी परिवार में माहौल ठीक नहीं है, उस पर इतनी लंबी प्रक्रिया सही नहीं इसे दुरुस्त करेंगे।

दिहि : घर तक सिलेंडर नहीं पहुंचाया जाता, मगर फिर भी होम डिलीवरी के चार्जेस लगते हैं?

आबिद : जिलाधीश अपने स्तर पर होम डिलीवरी चार्जेस तय करते हैं। घर तक पहुंचाने के ही पैसे लेने को कहा गया है, मगर कहीं से अगर शिकायत आएगी कि घर तक ना पहुंचाकर फिर भी पैसे लिए जा रहे हैं, तो इस पर कार्रवाई करेंगे। लोग 1097 पर शिकायत कर सकते हैं।

दिहि : चावल के साथ गन्नी बैग फ्री मिलता है, मगर उसके चार्जेस लेते हैं, इसे लूट कहा जा रहा है?

आबिद : यह मामला सामने आया है, जिसका जल्दी ही निवारण किया जाएगा

दिहि : पैट्रोल पंप पर थर्मल स्कैनिंग या सेनेटाइजेशन क्यों नहीं हो रही?

आबिद : हमने विभाग की ओर से निर्देश दे रखे हैं, जिस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही, यह देखा जाएगा।

दिहि : उज्ज्वला व गृहिणी योजना के बावजूद कैरोसीन क्यों दिया जा रहा है, जबकि हर घर में गैस है?

आबिद : हिमाचल में हर घर में गैस पहुंचाई गई है, मगर अभी भी कैरोसीन देते हैं। हालांकि इसकी मात्रा 2300 लीटर की रह गई है, जबकि यह पांच हजार लीटर आता था। ट्राइबल एरिया में अभी भी जरूरत है, वैसे सरकार को लिखा है कि इसे बंद किया जाए।

दिहि : एनएफएस में कमीशन क्यों नहीं दी जा रही?

आबिदः ऐसा नहीं है, बल्कि ये लोग 2013 में तय किए गए रेट के अनुसार पैसे मांग रहे हैं, जबकि पुरानी दरों पर इन्हें पैसे दिए जा रहे हैं। किसी की भी कमीशन पेंडिग नहीं है।

दिहि : दालों की गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं?

आबिद : दालें भारत सरकार की एजेंसी नैफेड से ली जा रही हैं, जिसकी पहले प्रॉपर सैंपलिंग की जाती है। ओपन मार्केट से बढि़या दालें डिपुओं में दी जा रही हैं। गुणवत्ता पर सवाल उठाना जायज नहीं है।


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