दो दिन तक शिवली में छिपा बैठा था आठ पुलिस कर्मियों का हत्यारा, विकास दुबे के तीन और गुर्गे गिरफ्तार

By: Jul 8th, 2020 8:00 pm

नई दिल्ली— कानपुर में चूहे-बिल्ली का ऐसा खेल शुरू हुआ है कि अभी तक आठ पुलिस कर्मियों के हत्यारे विकास दुबे तक अभी तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है, लेकिन उसके गुर्गों की धरपकड़ तेज हो गई है। इसी बीच हरियाणा के फरीदाबाद की पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे  के तीन गुर्गों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में इन लोगों ने स्वीकार किया है कि 3 जुलाई को पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे दो दिन तक कानपुर के शिवली में ही था। बाद में वह फरादीबाद आ गया और अपनी भाभी की मौसी के घर पर पनाह ली थी। बाद में वह यहां से भी फरार हो गया। फरीदाबाद पुलिस ने बताया कि विकास दुबे के मुख्य साथी के अलावा दो अन्य आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने दबोच लिया है। विकास के खास गुर्गे कार्तिकेय उर्फ प्रभात ने खुद को पुलिस से घिरा पाकर पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। उसके पास से चार पिस्टल और 44 राउंड जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। फरीदाबाद पुलिस ने बताया कि 7 जुलाई को क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि विकास दुबे के कुछ सहयोगी हथियार सहित न्यू इंदिरा नगर कॉम्प्लेक्स हरि नगर नहर पार एरिया में छिपे हुए हैं। डीसीपी क्राइम मकसूद अहमद की देखरेख में एसीपी क्राइम अनिल यादन ने क्राइम ब्रांच की टीमों के साथ छापेमारी की। अचानक बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग की और भागने की कोशिश की। पुलिस ने घेराबंदी करके कार्तिकेय उर्फ प्रभात, अंकुर और उसके पिता श्रवण को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा अमर दो जुलाई को हुए शूटआउट से एक दिन पहले ही गांव से बाहर चला गया था। अमर दुबे के परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाते हुए अमर के गांव में मौजूद ना होने की बात कही है। अमर दुबे को कानपुर के शूटआउट में शामिल होने के शक में पुलिस की कई टीमें खोज रही थीं और एसटीएफ ने उसे बुधवार सुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया था।

विकास का राइट हैंड कहा जाता था अमर

वहीं पुलिस के दावे परिवार के दावे से अलग हैं। पुलिस का कहना है कि अमर दुबे विकास के साथ शूटआउट में शामिल था और वह उन लोगों में था जिन्हें विकास ने फोन कर घर पर बुलाया था। पुलिस को ये शक भी था कि विकास की फरारी में अमर ने उसकी मदद की थी। बताया जा रहा है कि अमर दुबे विकास का राइट हैंड था और विकास के टॉप-10 शार्प शूटरों में शामिल था। अमर का निशाना अचूक था और इसी कारण विकास उसे हमेशा अपने साथ रखता था।

दो दिन तक शिवली में ही था विकास दुबे

प्रभात ने यह भी स्वीकार किया कि विकास दुबे और उसने पुलिस टीम पर हमला किया और दो पिस्टल के साथ कुछ जिंदा कारतूस छीनकर भाग गए। फरार होने के दो दिन बाद तक दोनों शिवली में ही रहे। प्रभात ने हमीरपुर में मारे गए अमर दुबे के बारे में भी बताया। पुलिस ने कोर्ट में पेश करके अंकुर और श्रवण को भी जेल भेद दिया है।

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इसके अलावा अमर 2 जुलाई को हुए शूटआउट से एक दिन पहले ही गांव से बाहर चला गया था। अमर दुबे के परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाते हुए अमर के गांव में मौजूद ना होने की बात कही है। अमर दुबे को कानपुर के शूटआउट में शामिल होने के शक में पुलिस की कई टीमें खोज रही थीं और एसटीएफ ने उसे बुधवार सुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके अलावा अमर 2 जुलाई को हुए शूटआउट से एक दिन पहले ही गांव से बाहर चला गया था। अमर दुबे के परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाते हुए अमर के गांव में मौजूद ना होने की बात कही है। अमर दुबे को कानपुर के शूटआउट में शामिल होने के शक में पुलिस की कई टीमें खोज रही थीं और एसटीएफ ने उसे बुधवार सुबह एक मुठभेड़ में मार गिराया था।


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