घाटे के निगमों को पैसा देने से इनकार

सचिवालय से बैरंग लौट रही फाइलें, कइयों के पास वेतन देने के लिए भी बजट नहीं

शिमला – सरकार के कई निगमों व बोर्डों की हालत खराब हो चुकी है। इनके पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। दो महीने तो जैसे-तैसे इन्होंने निकाल दिए, मगर अब आगे कैसे चलेगा, क्योंकि वित्त विभाग ने भी फिलहाल मदद से इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार वित्त महकमे के पास जो प्रस्ताव पैसा देने के लिए आए थे, वे बैरंग लौटा दिए गए हैं। इसमें सबसे प्रमुख राज्य का बिजली बोर्ड है, जिसने 250 करोड़ रुपए की डिमांड को लेकर दो दफा प्रस्ताव भेज दिया, मगर दोनों ही बार इनको मना कर दिया गया है। इसके साथ पर्यटन विकास निगम भी है, जिसमें होटलों में तैनात कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है। क्योंकि होटल बंद पड़े हैं, कारोबार हो नहीं रहा, ऐसे में इनके पास भी पैसा नहीं है। पहले से ही यह निगम घाटे में चल रहा था, ऐसे में अब कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। इन्होंने भी वेतन देने के लिए वित्त विभाग को पैसे की गुहार लगाई है, मगर इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इनकी ओर से वित्त विभाग से 20 करोड़ रूपए मांगा गया है। इसी तरह से हिमुडा ने भी 14 करोड़ रुपए की मांग रखी है। ऐसे कई दूसरे निगम व बोर्ड भी हैं, जिन्होंने दो करोड़, पांच करोड़, 10 करोड़ रुपए तक की डिमांड सरकार से की है। वर्तमान में परिस्थितियां इनके सामने काफी विकट हो चुकी हैं, जो लगातार सरकार से मदद मांग रहे हैं, मगर वित्त विभाग ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे प्रस्तावों पर क्या कुछ किया जा रहा है, इसे लेकर वित्त महकमे के अधिकारियों से मंगलवार को सीएम ने भी बात की है, तो स्थिति साफ हो गई। वित्तीय हालातों को मद्देनजर रखते हुए वित्त विभाग ने अब लोन लेने की तैयारी की है। बिना लोन लिए वह भी काम आगे नहीं चला सकता।

अपने संसाधनों से ही करना होगा गुजारा

घाटे के निगमों व बोर्डों ने पैसा मांगना शुरू किया है, जिस पर इनकार कर दिया गया है। इन्हें अपने संसाधनों से गुजारा करने को कहा गया है। अभी तक एचआरटीसी कर्मियों को वेतन ही नहीं मिल पाया है, जबकि वह सालाना इक्विटी से ही हिस्सा मांग रहे हैं।