खराहल के बागबान हुए हताश
खराहल-कोरोना के चलते जहां पहले ही व्यापारी वर्ग कारोबार न होने से हताश हो चुका है। वहीं, अब बागवान भी अपनी सेब व नाशपती की फसल को लेकर हताश होने लगे है। हालांकि पहले प्लम व लहुसन के भी अच्छे काम शुरुआती दौर में नहीं मिल रहे थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में प्लम व लहुसन के भी अच्छे दाम मिलने के बाद से किसानों के चेहरे में खुशी की लहर दौड़ गई है। वहीं, अब बागबानों को अपने सेब और नाशपाती की फसल कम होने की चिंता सता रही है। घाटी के बागबानों खेल राज, चुनी लाल, लाल चंद, बहादुर सिंह, गुप्त राम, चमन लाल, रोशन ने बताया कि खराहल एरिया में नाशपाती की पैदावार इस बार काफी है। वहीं, कुछ एरिया यानी लोउर वेल्ट की अगर बात करें तो यहां नाशपाती मंडियों में पहुंचना शुरू हो रही है। लेकिन अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे है। बागबानों की मानें तो प्लम के अच्छे दाम मिल रहे है। लेकिन नाशपाती के दाम भी नहीं है। वहीं, खराहल घाटी की अगर बात करें तो यहां इस बार नाशपाती की फसल की पैदावार खास नहीं हो पाई है। बागबानों की मानें तो पिछले साल के मुताबिक इस बार नाशपाती की पैदावार करीबन 10 फीसदी तक ही हो पाई है। बागबानों की मानें तो इस बार भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। बागबानों की मानें तो जिन के बागीचों में नाशपाती करीब एक छोटी गाड़ी निकला करती थी। वहीं, आज दो करेट के करीब ही नाशपाती निकल पा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से इस बार बागबानों को हताश होना पड़ रहा है। वहीं, दूसरी और सेब को स्कैब बीमारी ने भी जकड़ लिया है। इससे भी किसानों की फसल को काफी बड़ा झटका कहीं न कहीं लग रहा है। क्योंकि सेब की अच्छा कीमतें मिलने की बागबानों को उम्मीद है। लेकिन किस तरह से बीमारी ने सेब को जकड़ा है। उसने भी बागबानों को बुरी तरह से आर्थिक तौर पर नुकसान किया है। पिछले दो दिनों में नाशपती मंडियों तक काम ही पहुंच पाया है। हालांकि अभी तक बहुत से एरिया का नाशपाती पहुंचना मंडियों में बाकी है। वहीं, अच्छे किस्म की नाशपाती के दाम इस बार पिछले साल के मुकाबले में काफी अच्छे मिल रहे हैं।
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