कोरोना ने जलने से बचाए जंगल

हमीरपुर में 13 अग्निकांडों की वारदातों में 92 हजार का नुकसान, पिछले साल स्वाह हुए थे 90 लाख

हमीरपुर-वैश्विक महामारी कोरोना ने एक तरफ जहां पूरी दुनिया में मानव समाज को हिलाकर रख दिया है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण के लिए यह महामारी वरदान बनकर आई है। वर्षों से दूषित नदियों का पानी निर्मल हो गया, जंगलों में इस बार हरियाली पहले की अपेक्षा अधिक है। शिकार कम होने से जंगली जानवरों का जीवन भी सुरक्षित हुआ। जंगलों की हरियाली की बात करें तो इस बार गर्मियों के मौसम में आगजनी की घटनाएं न के बराबर ही हुईं। जिला हमीरपुर में भी हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। लगभग 70 वन बीट में फैले हमीरपुर के जंगल में आगजनी की घटनाओं की बात करें तो इस बार मात्र 13 ऐसी घटनाएं जिला के जंगलों में हुईं जो कि पिछले वर्ष 70 थीं। वर्ष 2019 में गर्मियों के मौसम में जिला की 545 हेक्टेयर जमीन में आग की भेंट चढ़ी थी जिसमें एक रेस्ट हाउस भी जल गया था। पिछले वर्ष वन महकमे द्वारा यह नुकसान 90 लाख रुपए आंका गया था। लेकिन इस बार जो आंकड़े आए हैं वो राहत भरे हैं। इस बार जो 13 आगजनी की घटनाएं जिला हमीरपुर में हुईं उनमें 80 हेक्टेयर जमीन में आग लगी जबकि नुकसान 92 हजार रुपए का बताया जा रहा है। जोकि पिछले वर्ष के मुकाबले 89.8 लाख कम है। वन महकमा ा मान रहा है कि इस बार जिला में बहुत कम आग की घटनाएं हुई जिससे नुकसान भी काफी गुना कम हुआ। डिपार्टमेंट जहां इसके लिए एक ओर पाइन निडल यूनिट के लिए चीड़ की पत्तियों को इकट्ठा कर रहे लोगों को के्रडिट दे रहा है वहीं कोविड-19 को भी इसका श्रेय दे रहा है क्योंकि इस महामारी के कारण इस बार ज्यादातर लोग घरों में ही रहे दूसरा मौसम भी काफी मेहरबान रहा और बीच-बीच में बारिशें होती रहीं। खैर जो भी हो लेकिन एक बात को कोई झुठला नहीं सकता कि हर साल वन विभाग कितने भी एक्सपेरिमेंट भले ही कर ले लेकिन फिर भी सैकड़ों हेक्टेयर जमीनें जलती हैं और लाखों का नुकसान होता है लेकिन इस बार एक वायरस ने पर्यावरण की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाई।