नहीं रहे साहित्यकार ज्ञान चंद

हमीरपुर अस्पताल में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस

बिलासपुर – एक साहित्यकार व समाजसेवक ज्ञान चंद बैंस अब हमारे बीच नहीं रहे। गत दिनों हमीरपुर हास्पिटल में उनका देहांत हो गया। वह बीमार भी नहीं थे अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें हास्पिटल ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। छात्र जीवन से ही इनको गीत, संगीत, कहानी व  कविता लेखन में विशेष रुचि रही। राम नाटकों के मंचन में भी कार्य किया। वर्ष 2002 में हिमाचल भाषा एवं संस्कृति विभाग से जुड़े। इनका रचनात्मक कार्य अत्यंत सराहनीय रहा है। कहलूरा रियां रीसां नामक प्रथम पुस्तक वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई। लेखक संघ की पुस्तक कहलूरा री कलम भाग एक व दो में इनकी 55 सुंदर रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। ये दोनों पहाड़ी काव्य संग्रह बिलासपुर लेखक संघ के सहयोग से प्रकाशित हुए थे। वर्ष 2015 में ‘बरीणा’ नामक लघु कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ। इनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ को विशेष स्थान मिला है। इस लघु कहानी संग्रह में कुछ ऐसी ऐसी मार्मिक कथाएं हैं जिनमें बिलासपुर जनपद में व्याप्त कुरीतियों को प्रकट करने का प्रयास किया है। यह काफी समय तक बिलासपुर लेखक संघ के सक्रिय सदस्य रहे हैं। उनके आकस्मिक निधन से साहित्य जगत को एक बहुत बड़ी क्षति हुई है, जिसको भरना असंभव है। बिलासपुर लेखक संघ द्वारा ब्यास सभागार में एक शोक सभा का आयोजन किया जिसमें संघ के प्रधान रोशन लाल शर्मा, महासचिव सुरिंद्र मिन्हास, कार्यकारी महासचिव रविंद्र कुमार शर्मा, सुशील पुंडीर, अमरनाथ धीमान, जसवंत सिंह चंदेल व अन्य साहित्यकारों ने इनकी मृत्यु पर शोक व संवेदना प्रकट की तथा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा तथा भगवान से प्रार्थना की गई कि दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे।