पास लाखों की गाड़ी… पर कोरोना की ऐसी पड़ी मार, आज लगा रहे दिहाड़ी, प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर्ज की बढ़ी मुश्किलें

By: Jul 4th, 2020 12:06 am

प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर्ज की बढ़ी मुश्किलें, दूसरों को रोजगार देने वालों के लिए अपना परिवार पालना भी हुआ मुश्किल

कांगड़ा – कोरोना ने लोगों को आर्थिकी के संकट में इस कद्र झोंक दिया है कि दूसरों को रोजगार देने वाले अब खुद मनरेगा में दिहाड़ी लगाने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा की एक मंजर कांगड़ा जिला में देखने को मिला है। यहां निजी बस का संचालन कर दूसरों को रोजगार देने वाले प्राइवेट बस ऑपरेटर को आज खुद मजदूरी करने को विवश होना पड़ा है। ऑपरेटर आर्थिक रूप से इतना परेशान है कि अब परिवार के पालन-पोषण के लिए गांव में मनरेगा में दिहाड़ी लगा रहा है। हालांकि यही ऑपरेटर कोरोना काल से पहले अपनी निजी बस के जरिए दो और लोगों को भी रोजगार दे रहा था। मौजूदा समय में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि ऐसे ही कई और निजी बस आपरेटर अपने व्यवसाय से हटकर रोजगार के दूसरे विकल्प तलाश रह हैं। हिमाचल प्रदेश एकल निजी बस ऑपरेटर संघर्ष समीति के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीन दत्त ने इस आशय की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रदेश के एकल बस आपरेटर्ज की कोविड-19 महामारी की वजह से दयनीय आर्थिक स्थिति के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि  निजी बस ऑपरेटरों पर भारी भरकम बैंक लोन है, जिसके लिए उन्होंने अपनी सारी पैतृक संपति को बैंकों में गिरवी रखा हआ है। उनका कहना है कि अब बैंकों के फोन भी ऋण चुकता करने के लिए आ रहे हैं। ऐसे में कुछ आपरेटर परिवार चलाने के लिए मनरेगा में काम कर रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष प्रवीन दत्त ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि यह कैसी विडंबना है कि बसों से दूसरों को रोजगार देने वाला व सरकार को टैक्स अदा करने वाला ऑपरेटर आज आर्थिक तंगी के आगे इतना मजबूर है कि उसको अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खुद रोजगार ढृंढना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यही स्थिति उनकी बसों पर कार्यरत ड्राइवर व कंडक्टरों की है। वे भी बसें न चलने के वजह से बेरोजगार हो चुके हैं तथा आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो चार महीने एसआरटी व टोकन टैक्स माफ किया गया है तथा सवारियों की 60 प्रतिशत आक्यूपेंसी को अब 100 प्रतिशत कर दिया गया है, इसके लिए सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर व निदेशक परिवहन जेएम पठानिया का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेशानुसार पहली जून से उन्होंने अपनी बसों का संचालन पुनः शुरू किया था, परंतु कोविड-19 के भय के कारण सवारियां न के बराबर मिल रही है, जिससे बसें अपना खर्चा भी नहीं निकाल पा रही हैं। नतीजन बस ऑपरेटर अब पेट्रोल पंप के भी कर्जदार हो गए हैं तथा मजबूरन उन्हें बसों को खड़ा करना पड़ा।

ऑपरेटर्ज की ये हैं मांगें

निजी बस ऑपरेटजर्स ने प्रदेश सरकार से मांग की कि उनको सरकार कम से कम 50 हजार रुपए प्रति ऑपरेटर आर्थिक सहायता मुहैया करवाए तथा उनके ड्राइवर व कंडक्टर को 10 हजार रुपए प्रति व्यक्ति आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाए। साथ ही प्रदेश सरकार बसों पर लगने वाले एसआरटी व टोकन टैक्स को 31 मार्च, 2021 तक छूट मुहैया करवाए। न्यूनतम किराया कम से कम 10 रुपए किया जाए।


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