पाकिस्तान के ‘भस्मासुर’

By: Jul 1st, 2020 12:05 am

पाकिस्तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज पर जो आतंकी हमला किया गया है, वह ‘भस्मासुर’ की याद ताजा कराता है। बेशक इस आतंकी हमले के निशाने पर भी इंसानियत थी, लेकिन पाकिस्तान ने तो ‘भस्मासुर’ की तरह आतंकियों को वरदान दिया है। उन्हें पाला-पोसा है। यदि उन्हीं में से किसी एक संगठन ने कराची सरीखे आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियों के केंद्र को निशाना बनाया है, तो ‘भस्मासुर’ की उपमा सटीक लगती है। आतंकी हमले में पांच सुरक्षाकर्मियों समेत 11 लोगों की जान चली गई है। यह शुक्र है कि सुरक्षा बलों ने गेट पर ही दो आतंकियों को ढेर कर दिया और दो आतंकी उस भवन में अंदर हॉल तक नहीं घुस सके। पहले ही उन्हें मार दिया गया। आतंकियों के पास हथियार और गोला-बारूद का जखीरा बताया गया है। यदि आतंकी स्टॉक एक्सचेंज में भीतर तक घुसकर आम ग्राहकों और कर्मचारियों को बंधक बना लेते, तो तबाही का मंजर कुछ और ही होता! एक्सचेंज में हजारों लोग मौजूद होते हैं। अल्लाह मेहरबान रहे…! लेकिन पाकिस्तान के सबसे  पुराने और सबसे बड़े, संपन्न शहर में आतंकवाद के नाम पर जेहाद पहली बार नहीं खेला गया। वर्ष 2018 में आतंकियों ने चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमला करके सात मासूमों की हत्या की थी। कभी कराची अपराध, राजनीतिक और जातीय हिंसा का बड़ा गढ़ होता था। हथियारबंद समूहों में आपसी भिड़ंत होती रहती थी। कभी आवासीय इलाकों में भी हमले किए जाते रहे हैं। लेकिन यह आतंकवाद भिन्न है। कराची में रेंजर्स को लेकर हमले किए जा रहे थे। क्या यह हमला भी उसी कड़ी का हिस्सा है? कराची दहशतगर्दों और उनके संगठनों की आरामगाह भी रही है। वहां तालिबान, बलोच विद्रोही, लोकल जेहादी आदि की शक्ल में आतंकी  सक्रिय हैं, लेकिन उनका जेहाद कश्मीर के कथित जेहाद से अलग है। ऐसे जेहादी पाकिस्तान की फौज के आदेश भी नहीं मानते। दोनों के बीच अक्सर ठनी रहती है। हमारे अनुभव का आकलन है कि यहां के जेहादी और नागरिक पाकिस्तान के नाम पर जेहाद करने और मरने को तैयार नहीं हैं। इस्लाम के नाम पर घोषित जेहाद को लेकर किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी बलोच लिबरेशन आर्मी नामक संगठन ने ली है। उसकी पहचान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हिजबुल, तालिबान सरीखे पुराने और हमलों के अनुभवी आतंकी संगठनों जैसी नहीं है। संभव है कि हमले के पीछे बलूचिस्तान को आजाद कराने वाली मानसिकता काम कर रही हो! यह बलूचिस्तान की मुक्ति से जुड़ा प्रतिकार भी हो सकता है! जो भी हो, हमला पाकिस्तान के अपने पाले हुए आतंकियों ने ही किया है ,लिहाजा ‘भस्मासुर’ करार देना संगत लगता है। हमले के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ या किसी अन्य भारतीय ताकत की साजिश बताना पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और कुछ कठमुल्ला पत्रकारों की कुंठा और फितरत हो सकती है। पाकिस्तान अपने ही ‘भस्मासुरों’ को कैसे नकार सकता है? यह भी संभावना है कि यह ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की कार्रवाई से बचने की पाकिस्तान हुकूमत की अपनी कवायद भी हो सकती है! पाकिस्तान अब भी ग्रे सूची में है और उस पर ‘काली सूची’ में डाले जाने की तलवार अब भी लटकी है। फिलहाल तो चीन ने बचा लिया है, लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी? स्टॉक एक्सचेंज वाले भवन में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और बैंकों के मुख्यालय भी हैं। वह भवन उच्च सुरक्षा के घेरे में भी है। तो ग्रेनेड फेंककर आतंकी हमले को अंजाम कैसे दिया गया? यह सवाल इमरान खान ही सोचें, जिन्होंने बीते दिनों संसद में अलकायदा के संस्थापक आतंकी ओसामा बिन लादेन को ‘शहीद’ करार दिया था। बहरहाल इस आतंकी हमले पर हम भी पाकिस्तान के नागरिकों की चिंता और उनके सरोकारों में शामिल हैं, लेकिन आतंकवादी पाकिस्तान के ‘भस्मासुर’ हैं, इस कथन से पीछे नहीं हटा जा सकता।


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