पंजाब सरकार ने आज किया स्पष्ट, लुधियाना जिले की मत्तेवाडा वन भूमि पर कोई औद्योगिक पार्क नहीं होगा स्थापित 

चंडीगढ़ – पंजाब सरकार ने आज स्पष्ट किया कि लुधियाना जिले की मत्तेवाडा वन भूमि पर कोई औद्योगिक पार्क स्थापित नहीं किया जाएगा और राज्य में ज़रुरी औद्योगिक विकास के लिए केवल सरकारी और पंचायती ज़मीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मत्तेवाड़ा के 2300 एकड़ वन क्षेत्र का कोई भी हिस्सा प्रस्तावित 1000 एकड़ के विकास के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। प्रस्तावित औद्योगिक / मिक्स्ड लैंड यूज एस्टेट के लिए गाँव हैदर नगर, सेखोवाल, सलेमपुर, सैलक्याना और मछीया-कलां की सरकारी और पंचायती ज़मीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है और ज़मीन मालिकों को उपयुक्त मुआवज़ा दिया जाएगा। सरकार सतलुज समेत सभी नदियों को साफ़ रखने की महत्ता से भली-भाँति अवगत है। प्रवक्ता ने कहा कि मत्तेवाड़ा औद्योगिक पार्क के साथ लगती सतलुज नदी के साथ-साथ छह लेन उच्च स्तरीय सडक़ बाढ़ को रोकने के लियेे बाँध का काम करेगी तथा यह भी सुनिश्चत किया जायेगा कि कहीं से गंदगी नदी में न फेंकी जाए। यह भी योजना है कि नदी के सामने प्रदूषण रहित यूनिट, कार्यालय, मनोरंजन गतिविधियां, काम करने वालों की रिहायश और होटल बनाए जाएंगे। औद्योगिक हॅब होने के नाते लुधियाना की औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार और कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य की सहायता के लिए योजनाबद्ध जगह की ज़रूरत है। बाहर से निवेश तभी संभव है यदि उचित दरों पर तैयार योजनाबद्ध जगह उपलब्ध हो, जहाँ चीन या किसी अन्य जगह से शिफ्ट करने के इच्छुक या स्थानीय उद्यमी बिना किसी रुकावट के कारोबार / इकाई स्थापित कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि मीडिया रिपोर्ट अनुसार मंत्रिमंडल की ओर से हाल ही में मंज़ूर की गई 1000 एकड़ औद्योगिक / मिक्स्ड लैंड यूज़ डवलपमेंट के साथ साथ लगत मत्तेवाड़ा के वन क्षेत्र और सतलुज नदी को ख़तरा होगा लेकिन सरकार ने अब स्पष्टीकरण जारी करके सारा मामला स्पष्ट कर दिया है।