पूरा नहीं हो रहा डीजल का खर्चा

By: Jul 3rd, 2020 12:20 am

बिलासपुर – डीजल में लगातार बढ़ोतरी के चलते सिविल सप्लाई विभाग के सीमेंट ढुलान में जुटे हजारों आपरेटरों को रेट में वृद्धि न होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। इससे बड़ी मुश्किल से इंधन खपत भी नहीं हो पा रही पूरी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में सिविल सप्लाई विभाग द्वारा किराए तय किए गए थे, लेकिन उस समय डीजल 56 रुपए प्रति लीटर था। यह बात बीडीटीएस सभा पूर्व प्रधान एवं कार्यकारिणी सदस्य रमेश ठाकुर ने कही।  ठाकुर ने कहा कि सभा व एक्स सर्विसमैन यूनियन के पांच हजार से अधिक ट्रक एसीसी फैक्टरी में सीमेंट ढुलान कार्य हेतु लगे हुए हैं। परंतु सिविल सप्लाई विभाग के द्वारा विभिन्न सरकारी महकमे को जाने वाले सीमेंट सप्लाई के पूर्व रेट ट्रक किराया 8.35 पैसे प्रति टन के होने के कारण लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान आपरेटरों को हो रहा है। उन्होंने कहा अब डीजल के दामों में 15 रुपए की वृद्धि वर्ष 2014 के बाद होने के कारण आपरेटरों को पूर्व भाड़े में ही स्टेशन तक सीमेंट पहुंचाने के लिए डीजल भी बड़ी मुश्किल से पूरा हो रहा है। क्योंकि इस समय सिविल सप्लाई भाड़ा और अन्य स्टॉकिस्ट और डंप के रेट में 1.64 पैसे का अंतर है। जिस कारण प्रति गाड़ी किलोमीटर के हिसाब से एक हजार से दो हजार के बीच का नुकसान आपरेटरों को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 14 मई 2018 को जब वह प्रधान के पद पर थे तो एक प्रतिनिधिमंडल सिविल सप्लाई विभाग व सरकार से डीजल के मुताबिक रेट बढ़ाने के लिए मिला था, परंतु कुछ दिनों बाद ही बीडीटीएस में सत्ता परिवर्तन होने के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। रमेश ठाकुर, सदस्य चंदू राम ठाकुर, कुलदीप गौतम, पवन कौशल, विनय कुमार वर्मा, कमल किशोर व अन्य सभा के सदस्यों ने बताया कि कोविड.19 के कारण पहले से ही ऑपरेटरों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरे अब डीजल का ज्यादा गैप होने के कारण सिविल सप्लाई महकमे के द्वारा दी जाने वाली सरकारी महकमे को सप्लाई के रेट तुरंत बढ़ाने की मांग की है। वही इन्होंने वर्तमान सभा पर भी आरोप लगाते हुए कहा उनके ढुलमुल रवैये के कारण आपरेटरों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। हालांकि सरकार व विभाग द्वारा वर्ष 2018 में भी प्रतिनिधिमंडल को डीजल बढ़ोतरी के मुताबिक रेट बढ़ाने की बात कही गई थी। इन्होंने प्रधान व अन्य पदाधिकारियों से मांग करते हुए कहा है कि शीघ्र इस विषय पर गौर फरमाएं ताकि आपरेटरों को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।


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