प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की कमी पर सख्ती
हिमाचल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
प्रदेश भर में कितने पीएचसी में है कर्मियों की कमी
शिमला – हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टर और अन्य स्टाफ की कमी पाए जाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह अदालत को बताए कि प्रदेश में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कितने डाक्टर नियुक्त किए गए हैं और हरेक केंद्र में कितने कर्मचारियों की सेवाओं की आवश्यकता रहती है। शिमला स्थित घनाहट्टी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर की कमी को उजागर करने वाली याचिका की वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के पश्चात अदालत ने उक्त आदेश पारित किए। जनहित में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि घणाहट्टी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्थायी डाक्टर का मार्च 2020 में स्थानांतरण किया गया था और उस दिन से यह स्वास्थ्य केंद्र बिना डाक्टर के सेवा दे रहा है। याचिका में दलील दी गई है कि घणाहट्टी में लगभग बारह हजार लोग हैं। इनमें से करीब बारह सौ लोग वरिष्ठ नागरिक हैं, जिन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर उपलब्ध न होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घणाहट्टी के उपप्रधान द्वारा दायर याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि वैश्विक बीमारी कोविड-19 के चलते जोनल हॉस्पिटल दीन दयाल उपाध्याय को सेंटर बनाया गया है। इस कारण इस अस्पताल में आम लोगों का इलाज नहीं हो रहा है। उधर, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में आम मरीजों की संख्या ज्यादा हो गई है, लिहाजा शिमला शहर के आसपास वाले इलाको में अगर स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है, तो आम लोग वहां अपना इलाज करवा सकते हैं, लेकिन इन स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी होने के कारण लोगों को परिशानियों का सामना करना पड़ता है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की आगामी सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की है। राज्य सरकार से प्रदेश भर के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति बारे जानकारी तलब की है।
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