रामदेव की कोरोना दवा पर हिमाचल की सोच

By: Jul 11th, 2020 12:21 am

परिचर्चा – 2

कोरोना वायरस की दवा बनाने के लिए पूरे विश्व के विशेषज्ञ प्रयत्न कर रहे हैं। इस दिशा में अभी तक किसी को भी शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिली है। इस बीच योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने कोरोना की दवा बना लेने का दावा किया और जिसे बाद में ‘इम्युनिटी बूस्टर’ की सीमा में रखना पड़ा। इस पर विशेषज्ञों के भिन्न-भिन्न मत हैं। इस विषय में हिमाचल के विशेषज्ञ क्या सोचते हैं, इन्हीं विचारों को लेकर हम इस बार एक परिचर्चा पेश कर रहे हैं। पेश है इसकी दूसरी और अंतिम किस्तः

बिना परमिशन कैसे बन गई दवा

ऐसी सूचना है कि बाबा रामदेव ने बगैर कोई परमिशन ही कोरोना वायरस की दवाई बना दी है, जबकि नियमानुसार किसी भी दवा को तैयार करने और उसके ट्रायल के लिए परमिशन लेनी होती है। पता चला है कि बाबा रामदेव द्वारा कोरोना नाम से तैयार की गई इस दवा को लेकर केंद्र की ओर से जवाबतलबी भी की गई है। मेरा मानना है कि इतने कम समय में किसी भी जानलेवा वायरस की मेडिसन तैयार करना बहुत मुश्किल होता है। ट्रायल के लिए ही एक लंबा वक्त लग जाता है। फिर रिजल्ट आने में समय लगता है। ऐसे में एक तय प्रक्रिया के तहत तैयार की गई दवाई को हरी झंडी मिलती है। सवाल यह उठता है कि दवा तैयार करने की परमिशन किसने दी और कोरोना की दवा का नाम कैसे रख दिया गया?

-डा. जमीर खान चंदेल, जिला आयुर्वेद अधिकारी, बिलासपुर

आयुर्वेद में कोरोना की दवा संभव है

आयुर्वेद में  हरेक बीमारी के इलाज का प्रावधान है। कोरोना काल की बात की जाए तो आयुर्वेदिक काढ़ा इम्युनिटी स्ट्रांग करने के लिए निरंतर प्रयोग हो रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयुर्वेदिक पद्धति का क्या महत्त्व है। जो दवाई बाबा रामदेव ने बनाई है, हो सकता है कि उससे कोरोना वायरस पर नियंत्रण  पाया जा सके। वैसे भी आयुर्वेदिक दवाइयों के कोई विपरीत प्रभाव मानव शरीर पर नहीं हैं। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि आयुर्वेदिक पद्धति से बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज संभव है। अगर बात कम दिनों में दवाई बनाने की है तो बता दूं कि सदियों से आयुर्वेद पद्धति से इलाज होता आ रहा है। ग्रंथों में आयुर्वेद  पद्धति का जिक्र है, जिसमें इस बात का भी उल्लेख है कि कौन सी सदी में किस तरह के हालात होंगे तथा उनसे आयुर्वेद कैसे निपटेगा। बाबा रामदेव ने इस पद्धति से अगर कोरोना की दवाई बनाने की बात कही है तो उसका प्रयोग किया जाना चाहिए। देश इस समय कोरोना संकट से गुजर रहा है। अगर आयुर्वेदिक पद्धति से संक्रमण को समाप्त या फिर कम किया जा सकता है तो बाबा रामदेव द्वारा बनाई गई दवाई के प्रयोग में क्या हर्ज है। आयुर्वेद को नजरअंदाज कर दवाई या वैक्सीन बनाने के सिर्फ दावे करना सही नहीं है। अगर आयुर्वेद से कोरोना को कंट्रोल किया जा सकता है तो आयुर्वेदिक पद्धति को अपनाया जाना चाहिए। कोरोना काल में अब तक हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे। ऐसे में अगर आयुर्वेद से इलाज की बात कही जा रही है तो इसका ट्रायल आधार  पर प्रयोग किया जाना चाहिए। सार्थक परिणाम सामने आने के उपरांत इसका निरंतर प्रयोग किया जा सकता है।

-डा. राजेंद्र पॉल, वरिष्ठ चिकित्सक, जिला आयुर्वेदिक अस्पताल, हमीरपुर


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