रामदेव की कोरोना दवा पर हिमाचल की सोच

By: Jul 4th, 2020 12:22 am

परिचर्चा-1

कोरोना वायरस की दवा बनाने के लिए पूरे विश्व के विशेषज्ञ प्रयत्न कर रहे हैं। इस दिशा में अभी तक किसी को भी शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिली है। इस बीच योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने कोरोना की दवा बना लेने का दावा किया और जिसे बाद में ‘इम्युनिटी बूस्टर’ की सीमा में रखना पड़ा। इस पर विशेषज्ञों के भिन्न-भिन्न मत हैं। इस विषय में हिमाचल के विशेषज्ञ क्या सोचते हैं, इन्हीं विचारों को लेकर हम इस बार एक परिचर्चा पेश कर रहे हैं। पेश है इसकी पहली किस्त :

पतंजलि के प्रयास सराहनीय हैं

पतंजलि योग पीठ ,हरिद्वार द्वारा श्वासारी वटी, कोरोनिल टैबलट एवं अणु तैल, इन तीन औषधियों की कोरोना किट तैयार की गई है, जिसकी चर्चा आज सारे देश में हो रही है। हम सब जानते हैं कि कोविड-19 नामक महामारी ने आज पूरे विश्व को जकड़ रखा है। हम यह भी जानते हैं कि इस महामारी का अब तक न कोई वैक्सीन है और न कोई इलाज है, केवल मात्र बचाव है। परंतु यदि किसी की इम्यूनिटी अच्छी है तो इस बीमारी का वायरस का प्रभाव न के बराबर या बहुत कम है। अतः ऐसी दवाइयों का प्रयोग जो व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ाती हैं, इस बीमारी में लाभदायक है। आयुर्वेद मे सैकड़ों औषधियां विद्यमान हैं जो इम्यून बूस्टर का काम करती हैं। इसी कड़ी में आयुष मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें आयुष क्वाथ, च्यवनप्राश एवं हल्दी उबाल कर दूध तथा योग करने का उल्लेख किया है। इसके साथ-साथ आयुष मंत्रालय ने देश में विद्यमान आयुर्वेद हॉस्पिटल, आयुष चिकित्सक तथा वैज्ञानिकों को भी निर्देश जारी किया था कि इस महामारी की रोकथाम एवं इलाज के लिए औषधियों का अनुसंधान एवं ट्रायल कर मंत्रालय को भेजें। पतंजलि योग पीठ ने भी इसी कड़ी में कोरोना किट तैयार की है जिसमें तीन औषधि हैं, इन सभी औषधियों का इम्यून बूस्टर के रूप में एवं श्वासन संस्थान पर प्रभाव का उल्लेख आयुर्वेद शास्त्रों में विद्यमान है। इसको तैयार करने में पंतजलि के प्रयास सराहनीय हैं। पतंजलि योग पीठ से गलती केवल इतनी हुई कि इसकी ट्रायल रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजने से पहले मीडिया में इसकी चर्चा कर दी। तुरंत प्रभाव से आयुष मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए पतंजलि योग पीठ, हरिद्वार को रिपोर्ट भेजने को कहा। तत्पश्चात दिनांक 23-06-2020 को उन्होंने आयुष मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेज दी, जिसकी प्राप्ति दिनांक 24-06-2020 को ई मेल द्वारा मंत्रालय ने पुष्टि की है। रिपोर्ट आयुष मंत्रालय के ड्रग एंड पॉलिसी सेक्शन के विचाराधीन है, अतः इस विषय में वाद-विवाद की आवश्यकता नहीं है। यदि यह किट सरकार के पैमानों पर खरी उतरती है, तो इसका लाभ पूरे विश्व को होगा।

-डा. हेम राज शर्मा

प्रांत महा सचिव, आरोग्य भारती, हिमाचल प्रदेश

यह दावा वैज्ञानिक ढंग से ठीक नहीं

संपूर्ण विश्व इस समय कोरोना वायरस संक्रमणजन्य घातक व्याधि कोविड-19 से ग्रस्त है। दुनियाभर में अब तक लगभग एक करोड़ व्यक्तियों के संक्रमण एवं पांच लाख रोगियों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। निश्चित औषध उपचार न होने पर संपूर्ण विश्व के वैज्ञानिक इस घातक वायरस के बचाव हेतु वैक्सीन की खोज में व्यस्त हैं, परंतु अभी सफलता दूर प्रतीत हो रही है। स्वाभाविक है कि इस स्थिति में अन्य चिकित्सा विकल्पों को भी खोजा जा रहा है, जिससे सामान्य जनमानस को व्याधि की गंभीर घातक अवस्था से बचाया जा सके। ऐसे में भारत जैसे देश, जहां आयुर्वेद एवं अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां प्रमुख हैं, से संपूर्ण विश्व को अपेक्षा है। आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने इस स्थिति के मद्देनजर आवश्यक कदम उठाते हुए कोविड-19 से बचने हेतु भिन्न-भिन्न दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें अन्य सावधानियों के अतिरिक्त आयुर्वेद में वर्णित कुछ वानस्पतिक औषधियों का प्रयोग कर व्याधिक्षमत्व या इम्यूनिटी को उत्तम बनाना भी प्रमुख है। इन वनस्पतियों में गुड़ूची, आंवला, हरिद्रा, तुलसी, अश्वगंधा के साथ बहुप्रचलित आयुर्वेद औषध च्यवनप्राश का सेवन प्रमुख है। आयुष मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में स्पष्ट लिखा है कि यह औषधियां कोविड-19 का उपचार नहीं, अपितु इस व्याधि से बचने हेतु एक प्रयास मात्र है। हाल में ही भारत की एक जानी-मानी आयुर्वेद औषध निर्माण कंपनी द्वारा कोरोना के सफल उपचार का दावा जहां आम जनता को उत्साहित करने वाला था, वहीं चिकित्सा एवं वैज्ञानिक जगत ने इस पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। यद्यपि इस औषधि के घटकों में गुड़ूची, अश्वगंधा एवं तुलसी प्रमुख हैं परंतु औषधि की कोरोना उपचार क्षमता का निर्णय जिन साक्ष्यों पर लिया गया है, वह वैज्ञानिक प्रतीत नहीं होते तथा जिन संभावित रोगियों पर इस औषधि का प्रभाव देखा गया है, उनकी संख्या बहुत कम होने के साथ उनमें कोई भी कोविड-19 का गंभीर रोगी नहीं है। ऐसी व्याधि, जिसमें 95 प्रतिशत तक रोगी अपनी व्याधिक्षमत्व के कारण रोग मुक्त हो जाते हैं, वहां ऐसी औषधि की आवश्यकता है जो गंभीर रोगियों का उपचार कर उनके जीवन की रक्षा कर सके। आयुष मंत्रालय इस लक्ष्य हेतु एक व्यापक क्लिनिकल ट्रायल निश्चित दिशा-निर्देशों के अनुसार पहले ही प्रारंभ कर चुका है, जिसकी कोविड-19 के उपचार की क्षमता शीघ्र ही वैज्ञानिक आकलन के लिए उपलब्ध होगी।

-डा. वाईके शर्मा

पूर्व प्राचार्य, राजीव गांधी स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला


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