सैन्य रणनीति और कूटनीति; कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक

By: Jul 4th, 2020 12:06 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

किसी भी देश को अपनी सीमाएं सुरक्षित रखने, विदेशी मुल्कों की गंदी नजर से बचाए रखने और देश के अंदर भाईचारे और सद्भाव का माहौल बनाए रखने के लिए अन्य जरूरी नीतियों के अलावा सबसे महत्त्वपूर्ण तीन पहलू – देश की सैन्य शक्ति, उसके इस्तेमाल के लिए उच्च स्तरीय रणनीति तथा गंदी नजर रखने वाले पड़ोसियों पर लगाम लगाने के लिए कूटनीति बहुत ही आवश्यक है। आज भारत शायद आजादी के बाद से सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है, जब एक वैश्विक महामारी से अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है, कुछ राजनीतिक दलों तथा मीडिया हाउस द्वारा क्षेत्रीय एवं धार्मिक मुद्दों को ग़लत तरीके से उठाने से आपसी भाईचारे को खतरा हो रहा है तथा सबसे ज्यादा हमारे सभी पड़ोसी देश चीन की बातों में आकर हमारी सीमाओं पर विवाद करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस तरह से चीन ने पिछले कुछ दशकों से दुनिया के जमीनी और समुद्री क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, उससे उसकी विश्व शक्ति बनने की ख्वाहिश को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह तो तय है कि ऐसा सपना देखने वाला मुल्क कभी भी अपने पड़ोसी देश से खुद लड़ने में परहेज करते हुए किसी दूसरे देश के साथ युद्ध जैसी स्थिति बनाकर खुद एक क्षेत्रीय नेता बनकर मसले को सुलझाने में अपना नाम कमाना चाहेगा जिससे वह विश्व शक्ति बनने की छवि बना सके। आजादी के बाद हमने चीन के साथ हमेशा युद्ध न करने की पॉलिसी को महत्त्व देने की कोशिश की है, पर अतीत में हालात और निर्णय जो भी हों उन पर चर्चा करने के बजाय आज जरूरी है कि हम चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए युद्ध के लिए सामने आएं। आज विश्व की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक भारतीय सैन्य शक्ति का सारी दुनिया लोहा मानती है। सैन्य शक्ति और कुशल रणनीति के साथ-साथ आज भारत को आवश्यकता है एक आला दर्जे की कूटनीति अपनाने की, जो दबाव चीन आज हम पर बना रहा है, हमें वही दबाव चीन पर बनाना होगा। भारत और चीन के अलावा तीसरे देश के साथ बनने वाले चार मुख्य तिकोन क्षेत्र जिसमें सियाचिन-लद्दाख फ्रंट पाकिस्तान, लिपुलेख-कालापानी नेपाल, डोकलाम-छुम्बी भुटान तथा दीफुलाम तिकोना बर्मा के साथ हैं। भारत को चाहिए कि इन चार मुख्य क्षेत्रों में दबाब बनाए, दो क्षेत्रों में सिर्फ  बचाव के हालात रखें तथा पाकिस्तान जैसे टटपुंजिए के किसी भी तरह के हमले से सचेत रहते हुए, मुख्य लक्ष्य लद्दाख  फ्रंट से बाल्टीस्तान पर कब्जा करना तथा भूटान फ्रंट से तिब्बत तक अंदर घुसकर, तिब्बत की आजादी की यूएन में मांग रखे। हालात के हिसाब से ऐसा करने से चीन पर दबाव बनेगा और भविष्य में भी वह हमसे पंगा लेने से पहले सोचने पर मजबूर रहेगा।


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