स्वामी जी का भक्तिभाव

By: Jul 25th, 2020 12:20 am

स्वामी विवेकानंद

गतांक से आगे…

दूसरे स्वामी जी के भक्त गुडविन का ऊटकमंड में देहांत हो गया। स्वामी जी को उन दोनों खबरों को सुनकर गहरा अघात पहुंचा। मद्रास में प्रबुद्ध भारत प्रत्रिका के संपादक महोदय का देहांत हो जाने से पत्रिका को अल्मोड़ा से प्रकाशित करने का इंतजाम किया गया था। इसका संचालक स्वामी स्वरूपानंद को नियुक्त किया गया था। स्वामी जी ने अब कश्मीर की ओर प्रस्थान किया। वहां वे श्रीमति बुल के मेहमान बने। यहां एक सप्ताह रहने के बाद वे बेहद गंभीर हो गए। अब फिर उन्हें एकांतवास अच्छा लगने लगा। इसके बाद स्वामी जी अमरनाथ की यात्रा पर चले गए, लेकिन रास्ते की परेशानियों को देखकर यात्रा किए बिना ही वापस आ गए। 18 जुलाई को वे इस्लामाबाद आए।

वहां से वे अवंतीपुर के ध्वंसावशेषों का दर्शन करते हुए अच्छाबल की तरफ चले। अच्छाबल में उन्होंने एक दिन फिर अमरनाथ की यात्रा की इच्छा जाहिर की। सिर्फ भगिनी निवेदिता को साथ चलने की इजाजत मिली और बाकी शिष्याओं को पहलगांव में रहने का आदेश देकर यात्रा की व्यवस्था करने लगे। तंबू वगैरह खरीदने के लिए इस्लामाबाद लौटना पड़ा। सामान लेकर उन्होंने भगिनी निवेदिता के साथ यात्रा शरू कर दी रास्ते में सभी यात्री व्रतों का पालन करते हुए आगे बढ़े। रास्ते में पड़ने वाले अनेक तीर्थों पर वह स्नान करते हुए अमरनाथ गुफा में पहुंच गए, तो महादेव की जय-जयकार से पूरा आकाश गूंज उठा। हिमशीतल पानी में स्नान करने के बाद गुफा में पहुंचे। हिमपिंड के रूप में यह प्राकृतिक शिवलिंग अनंत काल से यहां विराजमान है। भक्तिभाव से स्वामी जी ने इस प्राकृतिक प्रतीक को प्रणाम किया। फिर कुछ देर ध्यानमग्न होकर बाहर आ गए। उड़ते हुए शुभ कपोतयुगल के दर्शन करके अपने को कृतार्थ समझा।

जब वहां से वापस आए तो पहलगांव में उनकी शिष्याएं उनका इंतजार कर रही थीं। सभी लोग 8 अगस्त को श्रीनगर लौट आए। 30 सितंबर तक वह श्रीनगर में ही रहे और उसी दिन वे अकेले क्षीरभवानी की तरफ चल दिए। यहां कुछ दिन बिताकर वापस श्रीनगर लौट आए और 13 अक्तूबर को अपनी मंडली के साथ लाहौर पहुंचे। शिष्याओं की ख्वाहिश भारत के प्रमुख नगरों को देखने की थी। स्वामी जी अल्मोड़ा से आए हुए शिष्य सदानंद को अपने साथ लेकर कलकत्ता वापस लौट आए। 18 अक्तूबर को जब वे मठ आए, तो उनके सभी शिष्य बहुत ज्यादा खुश हुए। स्वामी जी के गिरते हुए स्वास्थ्य की वजह से सभी चिंता में थे। इलाज की सुविधा के लिए उन्हें मठ से कलकत्ता में बाग बाजार के श्री बलराम के मकान में रखा गया। वे बीच-बीच में जाकर मठ की देखभाल करते रहे। भगिनी निवेदता भी यात्रा खत्म करके कलकत्ता लौट आईं। उन्होंने स्त्री शिक्षा को अपना कार्यक्षेत्र बनाने की ख्वाहिश प्रकट की और बाग बाजार में उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। श्रीरामकृष्ण संघ के इतिहास में 2 दिसंबर एक स्मरणीय दिन रहेगा। उस दिन स्वामी जी ने अपने शिष्यों के साथ गंगा स्नान किया और नया गैरिक वस्त्र पहना।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App