एडवाइजरी जारी…नदी-नालों से दूर रहें लोग

कार्यालय संवाददाता -पांवटा साहिब

जिला के पहाड़ी इलाकों में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश से हालांकि पांवटा साहिब की नदियां उफान पर हैं, लेकिन फिर भी जलस्तर खतरे के निशान से कहीं दूर है। हालांकि यदि आने वाले दिनों में बारिश यूं ही रहती है तो कुछ खतरा बन सकता है। पांवटा साहिब में जहां यमुना नदी का जल स्तर खतरे के निशान से काफी दूर है, वहीं सहायक नदियों बाता और गिरि उफान पर है।

जानकारी के मुताबिक जिला के दून और ऊपरी इलाकों में पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर भारी बारिश हो रही है। इस बारिश से जहां पांवटा नगर की गलियां लबालब हो चुकी हैं, वहीं नदियों के जलस्तर में भी बढ़ोतरी देखी गई है। छोटे-छोटे बरसाती खड्ड पर तो बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। गुरुवार को पांवटा साहिब की यमुना नदी में 11 बजे तक जल स्तर 379 मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से 4.50 मीटर तक कम है। हालांकि यमुना नदी आर-पार लग चुकी है। स्नानघाट की कुछ सीढि़यों तक भी पानी आ चुका था। यही हाल बाता नदी का है।

बाता नदी में भी जल स्तर में भारी बढ़ौतरी हुई है। गिरि नदी भी उफान पर रही। लोगों का कहना है कि यदि कुछ दिन तक बारिश नहीं रूकी तो नदियां पांवटा साहिब सहित मैदानी इलाकों हरियाणा और दिल्ली आदि में तबाही मचा सकती हैं। उधर, प्रशासन ने लोगों को एडवाइजरी जारी करते हुए नदी-नालों से दूर रहने को कहा है। वहीं भारी बारिश से गिरिपार क्षेत्र के खड्ड भी उफान पर हैं। क्षेत्र के टिंबी में नेड़ा खड्ड में भी काफी पानी आया हुआ बताया गया।

केंद्रीय जल आयोग के स्थानीय कार्यालय प्रभारी एसडी उनियाल ने बताया कि गुरुवार को प्रातः 11 बजे यमुना नदी का जलस्तर 379 मीटर दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि यह जल स्तर खतरें से कहीं दूर है। हां यदि आने वाले दिनों में बारिश जारी रही और डैम के गेट खोले गए तो चिंता की बात हो सकती है। वहीं तहसीलदार पांवटा कपिल तोमर ने कहा कि लोगों को नदी-नालों से दूर रहने के लिए सूचना द्वारा जागरूक किया जा रहा है। साथ ही कुछ गोताखोरों को भी हायर किया गया है, ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके।

पांवटा-शिलाई एनएच पर कच्ची ढांग कर रही परेशान

उपमंडल में हो रही भारी बारिश के कारण गुरुवार को पांवटा-शिलाई एनएच पर कच्ची ढांग के पास सड़क लोगों को तंग करती रही। उपर की तरफ से बार-बार मलबा और पत्थर गिरने तथा सड़क चिकनी और फिसलन वाली होने के कारण वाहन चालकों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ा। हालांकि एनएच की मशीनें मौके पर थी और एनएच को साथ-साथ बहाल करती रही।