कोरोना का रूसी टीका

By: Aug 13th, 2020 12:06 am

रूस ने कोरोना वायरस का टीका बना लिया है। राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने इसकी घोषणा करते हुए दावा किया है कि टीके के लिए जरूरी परीक्षण और नियामक की मंजूरी ली गई है। पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय संदेहों और सवालों को खारिज किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की आशंकाएं अपनी जगह हैं। यदि संगठन रूसी टीके को मान्यता देता है, तो यकीनन रूस की यह महान और वैश्विक उपलब्धि होगी। बहरहाल रूस अपने दावों पर अडिग है। परीक्षण का टीका पुतिन की बेटी को भी लगाया गया है। शुरुआत में कुछ बुखार आया और दूसरे टीके के बाद बुखार कुछ बढ़ गया, लेकिन बाद में कोई भी स्वास्थ्य संबंधी गड़बड़ी नहीं देखी गई। गौरतलब यह है कि परीक्षण के दौरान टीके कई शोधार्थियों और उत्पादन से जुड़े लोगों को भी लगाए गए।

रूसी मंत्रियों और अतिविशिष्ट जमात पर भी टीके का ट्रायल किया गया है। रूस इस अनुभव और एहसास को, सोवियत संघ के दौर में, प्रथम सेटेलाइट ‘स्पूतनिक-1’ के समान सुखद और गर्वपूर्ण मान रहा है। रूस सितंबर में ही टीके का उत्पादन शुरू कर देगा और अक्तूबर में देशभर में ‘मुफ्त टीकाकरण’ की शुरुआत कर दी जाएगी। टीके पर जो लागत खर्च की गई है, उसे बजट से जोड़ा जाएगा। रूसी राष्ट्रपति पुतिन का दावा है कि टीका दो साल तक संक्रमण से बचाव करने में सक्षम साबित होगा। फिलहाल टीके की आपूर्ति विदेशों में नहीं की जाएगी। हालांकि 20 देशों से 100 करोड़ खुराक के ऑर्डर मिल चुके हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन शीघ्र ही भारत आने वाले हैं, लेकिन टीके का उत्पादन और वितरण संबंधी करार भारत ने नहीं किए हैं। रूस ने कोरोना वायरस के टीके की घोषणा तीसरे चरण के परीक्षण पूरे किए बिना ही की है। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई देशों को आपत्ति है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि टीके के सुरक्षा संबंधी डाटा के गहन विश्लेषण के बाद ही इसे मंजूरी दी जाएगी।

 टीके को मान्यता देने पर व्यापक विमर्श जारी है। किसी भी टीके का तीसरा चरण मानवीय परीक्षण पर आधारित होता है। हजारों इनसानों पर ट्रायल कर टीके के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। चिकित्सकों का मानना और चेतावनी भी है कि मानवीय परीक्षण पूरे किए बिना ही टीकाकरण घातक और जानलेवा भी साबित हो सकता है। विश्व विख्यात दवा निर्माताओं की एक एसोसिएशन का गंभीर आरोप है कि सभी संस्थान परीक्षण संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं, लेकिन रूस उनकी धज्जियां उड़ा रहा है। यह एक डरावना और जोखिमभरा प्रयोग है। ऐसे में रूस का कोरोना टीका पूरी तरह से सवालिया हो सकता है। अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्टे्रलिया, जापान, चीन और भारत आदि देशों में कोरोना के 30 टीके मानव परीक्षण के विभिन्न चरणों में चल रहे हैं। कई टीके तीसरे चरण में हैं और टीके का उत्पादन भी कंपनियों ने इस भरोसे पर शुरू कर दिया है कि उनके परीक्षण 100 फीसदी रहे हैं, लिहाजा वे अंतिम निष्कर्ष को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन टीका बना लेने का दावा किसी भी देश ने नहीं किया है।

 चिकित्सा विशेषज्ञ और वैज्ञानिक परीक्षण के तीसरे चरण को इसलिए महत्त्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि इसमें टीका लेने वालों को वायरस के सीधा संपर्क में लाया जाता है, जो टीके के विकास का नाजुक दौर होता है। टीके का परीक्षण कर रही यूबिंनजेन यूनिवर्सिटी के शोधार्थी पीटर क्रेम्सनर का आरोप है कि रूस ने 10 फीसदी क्लीनिकल ट्रायल भी पूरा नहीं किया है। रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने कहा है कि टीके के संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और अन्य देशों के साथ तीसरे चरण के परीक्षण किए जा रहे हैं और ये जारी रहेंगे। गरीब देशों को टीका मुफ्त ही मुहैया कराया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि गरीब देशों वाली मुहिम दम तोड़ती नजर आ रही है। सभी को कोरोना टीका उपलब्ध कराने के लिए 100 अरब डॉलर की दरकार है, लेकिन इसका 10 फीसदी भी जुटाया नहीं जा सका है। इनमें से भी ज्यादातर रकम भारत समेत जी-20 देशों ने मुहैया कराई है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App