कोरोना और हाशियाकरण
-एंजेल चौहान, सुंदरनगर, मंडी
आज वैश्विक स्तर पर संपूर्ण विश्व कोविड-19 से संघर्षरत है। इस बीच भारत में सामाजिक दूरी का अर्थ लोगों की समझ में भ्रांतियां लिए हुए है। किसी भी संस्था या चिकित्सक ने यह नहीं कहा है कि सामाजिक दूरी रखने से कोरोना ठीक होगा। आज कोरोना का संक्रमण जिस तरह बढ़ रहा है, आने वाले दिनों में हमें इसी के साथ जीना होगा और अपने सारे कार्योंं का निष्पादन करना पड़ेगा। ऐसे में हमें चाहिए कि हम सामाजिक दूरी के स्थान पर शारीरिक दूरी के नारे को बुलंद करें।
जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित या क्वारंटाइन होता है तो समाज में उस परिवार व उस नागरिक को हाशियाकरण की तरफ धकेल दिया जाता है। उसे कोरोना से निपटने के लिए समाज के द्वारा कमजोर करने का कार्य शुरू कर दिया जाता है। संक्रमित लोगों के बारे में समाज ने यह धारणा बना ली है कि उनसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ कर उन्हें समाज से ही निकाल देना है। यह शिक्षित लोगों का राष्ट्र के प्रति गैर-जिम्मेदराना प्रदर्शन है। होना यह चाहिए कि ऐसे लोगों से शारीरिक दूरी रखें, परंतु बोलचाल बंद न करें।
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