हिमाचल में अब कम एरिया में होगी ज्यादा मछली की पैदावार, मत्स्य पालक बायोफ्लॉक टेक्नीक से करेंगे फिश फार्मिंग

By: कार्यालय संवाददाता — बिलासपुर Aug 12th, 2020 12:06 am

कार्यालय संवाददाता — बिलासपुर

प्रदेश में मत्स्य पालन में रुचि रखने वाले मत्स्य पालकों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश के मत्स्य पालक अब नई तकनीक से मत्स्य पालन करेंगे। मत्स्य पालक अब बायोफ्लॉक तकनीक से फिश फार्मिंग करेंगे, जिससे अब कम क्षेत्र में मत्स्य पालक ज्यादा मछली की पैदावार कर पाएंगे, लेकिन इसके लिए मत्स्य पालक को नई बायोफ्लॉक तकनीक अपनानी होगी। बायोफ्लॉक तकनीक में फिश फार्मिंग करने के लिए मत्स्य पालक का खर्चा भी कम होगा और उसकी आय भी बेहतर होगी।

मत्स्य विभाग जल्द ही इस नई तकनीक को मत्स्य पालकों तक पहुंचाएगा, ताकि मत्स्य पालकों को इसका लाभ मिल सके। हालांकि इससे पहले भी मत्स्य पालक हिमाचल प्रदेश में बेहतर पैदावार कर रहे हैं, लेकिन मत्स्य विभाग की ओर से नई तकनीक अपनाई जाएगी। बताया जा रहा है कि इस नई तकनीक के अनुसार छोटे-छोटे (कुओं के अनुरूप) पोंड्स बनाए जाएंगे।

जिनकी गहराई भी नाममात्र ही करीब तीन से चार फीट तक होगी। वहीं, इस तकनीक के अनुसार पोंड्स का पानी बदलने की भी जरूरत नहीं होगी, जबकि मत्स्य पालन में इससे पहले पानी रि-सर्कुलेट करना अनिवार्य होता है। उधर, मत्स्य विभाग बिलासपुर के निदेशक सतपाल मेहता ने कहा है कि बायोफ्लॉक तकनीक का मत्स्य पालकों को लाभ मिलेगा। कम क्षेत्र में मत्स्य पालक ज्यादा पैदावार कर सकेंगे। जल्द ही मत्स्य पालकों तक इस तकनीक को पहुंचाया जाएगा, ताकि मत्स्य पालक इसका लाभ उठा सकें।


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