जन्माष्टमी…मंदिर सूने, घरों में की पूजा

कोरोना के चलते नहीं हो पाए धार्मिक कार्यक्रम, भक्तों ने मंदिर के बाहर से शीश नवाकर लिया आशीर्वाद

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—बिलासपुर-कोरोना के खतरे के चलते पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर जिला बिलासपुर के सभी मंदिर सूने रहे। मंदिरों के बंद होने के चलते श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो पाया।

लोगों ने मंदिरों के बाहर से शीश नवाए और अपने घरों पर ही पूजा-अर्चना की। हालांकि, श्रीकृष्ण मंदिरों रंग-बिरंगी लाइटों के साथ सजाया गया था और पुजारी वर्ग ने विधिवत रूप से मंदिरों में जन्माष्टमी की पूजा भी की। लेकिन, आमजन इसमें भाग नहीं ले पाया। हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बिलासपुर जिला मुख्यालय पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता रहा है। मंदिर न्यास श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के तहत श्रीमद्भागवत कथा, विशाल शोभा यात्रा, भजन संध्या और विशाल भंडारा आदि धार्र्मिक कार्यक्रम आयोजित होते थे।

जन्माष्टमी के दिन पूरे शहर में निकाले जाने वाली विशाल शोभा यात्रा में विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा मनमोहक झांकियां निकाली जाती थीं। जगह-जगह पटकी फोड़ कार्यक्रम होते थे और युवा की टोलियां पीले पटके पहने मटकियों को फोड़ते थे। यही नहीं शोभा यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह फलाहार स्टाल लगाए जाते थे। लेकिन, कोरोना के खतरे के चलते इस बार इनमें से कोई कार्यक्रम नहीं हो पाया।  मंदिर के पुजारी पंडित बाबू राम शर्मा के मुताबिक यह पहली बार हुआ है कि मंदिर न्यास श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व सार्वजनिक तौर पर नहीं मनाया गया। पुजारी वर्ग द्वारा ही मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। उधर, दनोह स्थित श्री गोपाल मंदिर व राधा कृष्ण चमलोग सहित अन्य मंदिरों में भी कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो पाया।