जिस शुभ घड़ी का लंबे वक्त से इंतजार था, आखिरकार वह आ गई, अयोध्या में राम मंदिर के काम का आगाज

By: Aug 6th, 2020 12:06 am

अयोध्या – जिस शुभ घड़ी का लंबे वक्त से इंतजार था, वह आखिरकार आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रख दी है। भूमि पूजन की सभी प्रक्रिया करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शुभ मुहूर्त में शिला रखी। प्रधानमंत्री मोदी रामभक्ति से पूरी तरह ओत-प्रोत नजर आए। जैसे ही वह रामलला के समक्ष पहुंचे, उन्होंने सष्टांग प्रणाम किया। पीएम मोदी ने शीश नवाकर श्रीराम की मूर्ति के दर्शन किए। उनकी भक्ति का यह अंदाज अभिभूत कर देने वाला था। पीएम मोदी ने पारंपरिक लिबास धोती-कुर्ता पहना था। रामलला के दर्शन करने के बाद पीएम मोदी ने परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया।

पारिजात के पौधे से कई सारी पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इसे हिंदू धर्म में काफी शुभ माना जाता है। भूमि पूजन स्थल पर जाने से पहले पीएम मोदी ने हनुमानगढ़ी मंदिर में पारंपरिक तरीके से पूजा-पाठ किया। रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा करने की परंपरा  है। अयोध्या के बीचों बीच हनुमानगढ़ी में रामभक्त हनुमानजी का विशाल मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या में सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में बजरंगबली के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, फिर किसी दूसरे मंदिर जाना चाहिए। सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन करने के पीछे ‘राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे…’ वाली मान्यता दिखती है।

यानी हनुमानजी की कृपा के बिना किसी को रामजी का आशीर्वाद नहीं मिलता है। पीएम मोदी के द्वारा अयोध्या में भूमि पूजन के साथ ही अब राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से शुरू हो जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने राम मंदिर की सीमा तय कर रखी है और 2024 के पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।

सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा खास ख्याल

कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए पूजा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी खास ख्याल रखा गया। पीएम मोदी समेत सभी पुरोहितों और मेहमानों ने मास्क लगा रखा था।

शिलाओं पर लिखा श्रीराम का नाम

पूजा करने वाले संत ने बताया कि देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से शिलाएं लाई गई हैं, जिन पर श्रीराम का नाम लिखा है।

माथे पर लगाई पूजा स्थल की मिट्टी

भूमि पूजन संपन्न कराने वाले पंडित आचार्य आचार्य दुर्गा गौतम ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अपने साथ चांदी का कुंभ कलश लेकर आए थे। उन्होंने रामलला को वह कुंभ कलश भेंट की। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक-एक सोने का सिक्का राम मंदिर की नींव में डाला। आचार्य दुर्गा गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूजा स्थल पर माथा टेका और वहां की मिट्टी अपने माथे पर लगाई।

पूजा विधियों को समझते हैं प्रधानमंत्री मोदी

आचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री को पूजा की विधियों की जानकारी है, इसलिए वह इशारों को तुरंत समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी बहुत विज्ञ (जानकार) हैं, उन्हें बहुत जानकारी है, इसलिए हल्का इशारा करने पर ही विधिवत समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत लोकप्रिय हैं। रामजी के लिए उन्होंने बड़ा तप किया है। उनको बड़ा सौभाग्य मिला है। वो भी बहुत गदगद थे।

टीवी के सामने हाथ जोड़े बैठी रहीं मोदी की मां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर मंदिर की नींव रखी। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन भी टेलीविजन पर बेटे के हाथों हो रहे भूमि पूजन समारोह को देख रहीं थीं। मां हीराबेन ने पीएम मोदी के अयोध्या पहुंचने के बाद से लेकर सभी कार्यक्रम को लगातार देखा। इस दौरान जब पीएम मोदी हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर रहे थे, तो मां हीराबेन ने हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान रामलला के दर्शन किए। वहां पीएम मोदी ने आरती कर भगवान से आशीर्वाद मांगा। उन्होंने बेटे पीएम मोदी के हाथों रामलला की आरती किए जाने पर हाथ जोड़ प्रणाम किया। इससे पहले जब वह भगवान रामलला के दर्शन करने गए, तो उन्होंने भगवान राम को दंडवत प्रणाम किया। टीवी पर यह देखकर पीएम मोदी की मां हीराबेन भावुक हो उठीं।

राम मंदिर निर्माण के लिए मोरारी बापू ने जुटाए 18.61 करोड़ रुपए

अहमदाबाद – मशहूर कथावाचक मोरारी बापू ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 18.61 करोड़ रुपए जुटाए हैं। उन्होंने यह इच्छा जाहिर की थी कि वह राम मंदिर के लिए पांच करोड़ रुपए दान करना चाहते हैं। गुजरात के पिथोरिया में ऑनलाइन कथा के दौरान उन्होंने यह अपील की और देखते ही देखते उनके पास 18.61 करोड़ रुपए इकट्ठे हो गए। मोरारी बापू की अपील का दमदार असर हुआ। देश और दुनिया में बैठे उनके समर्थकों और प्रशंसकों ने 18.61 करोड़ रुपए जुटा लिए। इसमें से 11.30 करोड़ सिर्फ भारत से ही और बाकी के पैसे विदेश से चंदे के रूप में मिले। चंदे के रूप में यूके और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपए और अमरीका, कनाडा और अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपए जुटाए गए।

अयोध्या में दूसरे दिन भी मना दीपोत्सव

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन संपन्न हो गया। कार्यक्रम की समाप्ति के साथ ही शाम को एक साथ डेढ़ लाख दीप जगमगाए। दीपों से राम की पैड़ी जगमग हुई। राम की पैड़ी पर राम भक्तों का तांता लगा हुआ था। भूमि पूजन के दिन राम भक्तों ने दीपदान में गजब का उल्लास दिखाया। अयोध्या धाम के मंदिरों के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर दीपदान हुए। आरएएस प्रमुख मोहन भागवत ने सरयू आरती की। सरयू घाट पर सदानीरा सलिला की आरती हुई। रामजन्म भूमि का प्रसाद आज अयोध्या के घर-घर में बांटा गया। इसी के साथ मंदिर मठ और रामलला परिसर भी रोशनी से जगमग हो उठा। अयोध्या में भक्तों का उत्साह हिलोरे मार रहा है। दिनभर रामनाम का उद्घोष होता रहा। बीच-बीच में राम का विश्वास, मंदिर का शिलान्यास, अयोध्या का वंदन, कृपा करो रघुनंदन, रामलला हम आ रहे, मंदिर वहीं बना रहे, जैसे गढ़े हुए तमाम नारे भी गूंजते रहे। शाम होते ही हनुमान गढ़ी के दर्शन के लोग टूट पड़े। कड़े सुरक्षा पहरे के बावजूद लोग हनुमानगढ़ी के रास्ते पर उमड़ पड़े।

तीन रिकार्ड बना गए प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में 29 साल बाद पहुंचे। उन्होंने एक साथ तीन रिकार्ड बना दिया। वह श्रीराम जन्मभूमि जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री बने हैं। यह देश में पहला मौका होगा, जब प्रधानमंत्री अयोध्या की हनुमानगढ़ी का दर्शन किया। इसी के साथ देश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के प्रतीक किसी मंदिर के शुभारंभ कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले पहले प्रधानमंत्री के तौर पर भी नरेंद्र मोदी का नाम दर्ज हो गया। यह जानकारी भूमि पूजन आयोजन से जुड़े सूत्रों ने दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पूर्व 28 साल पहले 1992 में पहली बार अयोध्या पहुंचे थे। तब वह बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में निकली तिरंगा यात्रा में उनके सहयोगी के तौर पर अयोध्या पहुंचे थे। यह यात्रा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की मांग को लेकर निकली थी। बताया जाता है कि जनवरी, 1992 में कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा 18 जनवरी 1992 को अयोध्या पहुंची थी। तब मुरली मनोहर जोशी के साथ नरेंद्र मोदी ने फैजाबाद (अयोध्या) के जीआइसी मैदान में सभा को संबोधित किया था। इस दौरान डा. जोशी और नरेंद्र मोदी ने रामलला के दर्शन भी किए थे।

1528 से 2020 तक…राम मंदिर का पूरा इतिहास

राममंदिर के इतिहास में पांच अगस्त, 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से नौ नवंबर, 2019 का दिन, जब पांच जजों की संवैधानिक बैंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा। आइए जानें इस विवाद की नींव कब पड़ी और अब तक के इतिहास के अहम पड़ाव…

1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।

1853-1949 तकः 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।

1949 : असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर, 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

1961 : यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

1984 : विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी गठित की।

1986 : यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने पहली फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

छह दिसंबर, 1992 : वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

2002 : हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

2010 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

2017 : सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

आठ मार्च, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

पहली अगस्त, 2019 : मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

दो अगस्त, 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

छह अगस्त, 2019 : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16 अक्तूबर, 2019 : अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

9 नवंबर, 2019 : सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बैंच ने राममंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।

25 मार्च, 2020 : तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।

पांच अगस्त, 2020 : राममंदिर का भूमि पूजन । पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल।


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