जुखाला में राज्य स्तरीय स्पर्धा आज

जुखाला-हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् द्वारा संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य मंे जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से आयोजित जिला स्तरीय विद्यालयीय अंतरजातीय संस्कृत सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता प्रदेश के 11 जिलों में आयोजित की गई। इसमें चंबा के 50, कांगड़ा के 81, मंडी के 143, ऊना के 174, हमीरपुर के 128, बिलासपुर के 185, कुल्लू के 139, किन्नौर के 26, शिमला के 179, सोलन के 147 तथा सिरमौर के 61 कुल मिलाकर 1313 छात्रों ने भाग लिया। इसमें से प्रत्येक जिला से पांच छात्रों का चयन राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए किया गया है। इनकी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हिमाचल संस्कृत अकादमी के सहयोग से छह अगस्त गुरुवार को 11 बजे आयोजित की जाएगी।

इसके साथ ही आज वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राम राज्य की परिकल्पना इस विषय पर ऑनलाइन फेसबुक लाइव पेज के माध्यम से परिचर्चा की गई। इसमें विशेष रूप से राष्ट्रीय संत वागीश स्वरूप ब्रह्मचारी, डा. राजकुमार उपाध्याय विभागाध्यक्ष हिंदी केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला व डा. अमनदीप शर्मा ने भाग लिया। वागीश स्वरूप ब्रह्मचारी ने परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भगवान् श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और उन्होंने कर्म करके समाज को मर्यादा का सिद्धांत सिखाया है अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में एक समान रहना यही श्री राम का आदर्श हैं। राम राज्य का मतलब है सुख व शांति का राज्य राम सुख स्वरूप हैं और सीता शान्ति स्वरूपा हैं अर्थात् जहां शासक व उसकी प्रजा में सुख शांति है वहीं रामराज्य है। डा. राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि जिस प्रकार संस्कृत के कवियों में कालिदास की गणना सबसे पहले होती है वैसे ही हिंदी के कवियों में संत तुलसीदास का नाम सबसे पहले आता है आज के परिप्रेक्ष्य में जितनी ख्याति रामचरितमानस को मिली है उतनी किसी ग्रन्थ को नहीं गांव निरक्षर व्यक्ति भी बातों.बातों में रामचरितमानस की चौपाइयों कि प्रयोग करते हैं।