कांगड़ा के धान पर क्यों फिदा है दुनिया

By: Aug 10th, 2020 8:00 pm

धान की खेती कर कांगड़ा के किसान खुद को आत्मनिर्भर बना रहे है। कांगड़ा के 2050 हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है। हर सीजन में करीब 4150 मीट्रिक टन धान की पैदावार हो रही है। खास बात यह है कि यहां तैयार होने वाले धान की मांग भी अधिक है। कांगड़ा का धान बाहरी राज्यों में भी सप्लाई किया जा रहा है। इस बार कृषि विभाग ने कांगड़ा ब्लाक में 17 क्विंटल धान का हाईब्रीड बीज किसानों को वितरित किया है।

किसान भी अपनी कड़ी महनत से धान की खेती पर अधिक जोर दे रहे है। वहीं कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को अच्छी प्रजाति की उपजशील धान की खेती के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को उन्नत खेती के लिए बेहतर तरीके से प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। कांगड़ा में धान की खेती की तैयारी परंपरागत तरीके से की जाती है। यहां किसान परमल सहित बासमती भी उगा रहे हैं। रानीताल, कच्छियारी व कोहाला आदि में खेती पर ज्यादा फोक्स किया जा रहा है।

इस बार विभाग द्वारा एराइज 6508 और सावा 200 हाईब्रीड सीड वितरित किया गया है। इसके अलावा कुछ अन्य बेहतरीन किस्मों के धान को किसानों ने मार्केट से भी खरीदा है। सितंबर-अक्तूबर में कांगड़ा में धान कटाई का कार्य शुरू होता है। हालांकि मौजूदा समय में अच्छी पैदावार देखने को मिल रही है, लेकिन अभी कहीं से भी विभाग को किसी तरह की बीमारी लगने की शिकायत नहीं पंहुची है। विभाग की मानें तो इस समय धान पर तना छेदक  कीट व राइस ब्लास्ट बीमारी का अटैक होने का खतरा बना हुआ है। इस कीट पर शुरूआती दौर में ही नियंत्रण करना जरूरी है। तना छेदक कीट के फसल में लगने से पौधा बीच से सूखने लगता है और पौधे का ऊपरी भाग अलग हो जाता है। इसके अलावा विभाग ने कांगड़ा से मिट्टी के 240 नमूने भी जांच के लिए पालमपुर लैब भेजे हैं। हर सर्किल से 40 नमूने एकत्रित किए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है।

रिपोर्टः   हैडक्वार्टर ब्यूरो


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App