कार सेवकों को किया सम्मानित

पांवटा साहिब-श्रीराम जन्मभूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन के बाद पांवटा साहिब में भी रामभक्तों ने दीपावली मनाई। इस मौके पर पांवटा साहिब के नागरिकों ने 1990 और 92 में कारसेवा के लिए गए पांवटा, शिलाई और माजरा के कार सेवकों को सम्मानित भी किया। पांवटा के बयोवृद्ध वकील और पूर्व जज शांति स्वरूप मित्तल और डा. प्रेम चंद गुप्ता ने कार सेवकों को चंदन का टीका लगाकर फूल माला और अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान कार सेवकों ने अपने तब के अनुभव बताए कि 1990 में खासकर मुलायम सिंह की सरकार ने कैसे-कैसे कार सेवकों पर अत्याचार किए, लेकिन बावजूद पांच बार उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने और चार-पांच दिन गोडा से पैदल चलकर पांवटा के 46 कार सेवकों का जत्था 31 अक्तूबर, 1990 को अयोध्या सरयू पुल तक पहुंचने में कामयाब हो गया था, जहां पुलिस के साथ कड़ा संघर्ष किया। तीन-चार घंटे संघर्ष के बाद पुलिस ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और अंत में पुलिस ने हजारों राउंड गोलियां चलाई, जिसमें सैकड़ों कार सेवक घायल भी हुए। कुछ की मौत भी हुई लेकिन पांवटा के कार सेवकों को गोली नहीं लगी। समारोह में तब के वाहिनी प्रमुख भोलेश्वर, सह-वाहिनी प्रमुख शिव सिंह असवाल सहित चंद्रशेखर, अश्वनी शर्मा, बिजेश गोयल, कुलदीप ठाकुर, निर्मल शर्मा, देवेंद्र शर्मा, मनोज कुमार गौड, बैशाखी राम, अमर सिंह शिलाई, रामभज शिलाई, डा. महिमा नंद, संजय सिंघल, भगवती भट्ट, जय प्रकाश सहित 65 कार सेवक उपस्थित थे। चार स्व. कार सेवकों के परिजन भी समारोह में सम्मानित किए गए। तब के विश्व हिंदू परिषद के तत्त्कालीन अध्यक्ष स्व. रूप सिंह चंदेल को इस अवसर पर विशेषतः याद कर एक कार सेवक और आंदोलन में उनकी भूमिका की प्रशंसा की गई और उनके योगदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।