किसान बागबानों की किस्मत बदलेंगे 198 करोड़ के प्रोजेक्ट

By: शिमला से विशेष संवाददाता की यह रिपोर्ट Aug 30th, 2020 12:10 am

हिमाचल मे किसानों और बागबानों लिए करोड़ों रुपए की नई परियोजनाओं की नींव पड़ गई। कई नई मंडियां और दफ्तर खोले जा रहे हैं। पेश है शिमला से विशेष संवाददाता की यह रिपोर्ट

हिमाचल में किसानों और बागबानों की खातिर 198 करोड़ के प्रोजेक्टों की नींव पड़ गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन प्रोजेक्टों की आधारशिला रख दी है। इसके तहत शिमला के मेहंदली और शिलारू में 20-20 करोड़ रुपए खर्च करके नई फल व सब्जी मंडियां बनाई जा रही हैं।

इसके अलावा बंदरोल में 12 करोड़ से सब्जी उप मंडी बनेगी। वहीं आठ करोड़ 52 लाख से पराला मंडी का सुधार होगा। पालमपुर उप मंडी और परवाणू टर्मिनल का भी सुधार होगा। ढली मंडी का दायरा बढ़ा किया जा रहा है। विपणन बोर्ड कैंपस खलीणी में नए आफिस बनेंगे। पराला में कोल्ड चेन और  खड़ापत्थर में बनेगा प्री कूलिंग चैंबर भी बनाया जा रहा है। बहरहाल किसानों के लिए  एक साथ 22 प्रोजेक्ट शुरू करके हिमाचल सरकार ने देश के अन्य राज्यों के लिए रोल माडल सेट किया है। इसी तरह कुल्लू एवं लाहुल-स्पीति समिति के लिए पांच करोड़ रुपये की लागत से फल एवं सब्जी उप-मंडी शाट के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण, मंडी जिला में 3.21 करोड़ रुपये की लागत से फल एवं सब्जी मंडी कांगणी के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण, 5.62 करोड़ रुपए के व्यय से पांवटा-साहिब फल एवं सब्जी मंडी के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण, दो करोड़ रुपये की लागत से फल एवं सब्जी उप-मंडी पालमपुर के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण और सोलन जिला में 24.96 करोड़ रुपये की लागत से टर्मिनल मंडी परवाणु के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण के शिलान्यास किए। मुख्यमंत्री ने फल एवं सब्जी मंडी, ढली के विस्तारीकरण का शिलान्यास किया, जिस पर 18.86 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

उन्होंने विपणन बोर्ड परिसर खलीनी, शिमला में चार करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय से नये कार्यालय, ब्लॉक व पार्किंग निर्माण कार्य, कुल्लू की मुख्य मंडी में 1.15 करोड़ रुपए के व्यय से इंटरलॉकिंग कंकरीट पेवर और यू-शेप नाली के कार्य, फल एवं सब्जी उप-मंडी भुंतर में 53 लाख रुपये से 11 दुकानों के निर्माण, फल एवं सब्जी उप-मंडी खेगसू में 72 लाख रुपये की लागत से पार्किंग स्थल के निर्माण, फल एवं सब्जी उप-मंडी चैरी-बिहाल में 2.66 करोड़ रुपये की लागत से किसान भवन, चारदीवारी के निर्माण और सुरक्षा के लिए वायरक्त्रेट्स लगाने तथा पतलीकूहल फल एवं सब्जी उप-मंडी में 52 लाख रुपये की लागत से सुरक्षा दीवार एवं चारदीवारी के निर्माण और यार्ड क्षेत्र में मेटलिंग कार्य की आधारशिलाएं रखीं। जयराम ठाकुर ने फल एवं सब्जी उप-मंडी बिलासपुर में 2.84 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले बहुमंजिला परिसर के निर्माण, 1.85 करोड़ रुपये की लागत से नई अनाज उप-मंडी मजारी के निर्माण, मुख्य मंडी सोलन में 52 लाख रुपये की लागत से कोटा स्टोन लगाने और सुरक्षा दीवार के निर्माण और टर्मिनल मंडी परवाणु में 2.74 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न कार्यों का भी शिलान्यास किया।

दिहाड़ी लगाते माथा ठनका एक तरकीब से बना टमाटर का उस्ताद

माटी के लाल

 हिमाचली किसान दुनिया में सबसे बड़े हार्ड वर्कर हैं, लेकिन अब जमाना स्मार्ट वर्क का है। कुछ ऐसे ही स्मार्ट वर्क से कुल्लू का एक मजदूर अब एक सीजन में पांच लाख रुपए के टमाटर बेच रहा है। पढि़ए कुल्लू से दिव्य हिमाचल ब्यूरो की रिपोर्ट

तस्वीर में नजर आ रहे शख्स का नाम रामनाथ है। रामनाथ कुल्लू जिला के  खारना गांव के रहने वाले हैं। इनकी गिनती सफल टमाटर किसानों में होती है। एक सीजन में वह पांच लाख के टमाटर बेचते हैं। कुछ साल पहले की ही बात है, जब रामनाथ एक छोटे से मजदूर थे। इसी बीच  एक बार उन्हें एक जमींदार के खेत में टमाटर उगाने का काम मिला। उस सीजन टमाटर की खूब पैदावार हुई। यहीं से रामनाथ को आइडिया मिला कि क्यों न वह अपने खेत में यह काम करे। बस फिर क्या था। पहले साल रामनाथ एक  प्राईवेट नर्सरी से टमाटर की पनीरी खरीद लाए और खेत में खूब मेहनत की। उस दौरान उन्होंने दो लाख रुपए का कारोबार किया। उससे रामनाथ का हौसला और बढ़ा और उन्होंने गांव के ही एक अन्य किसान से ठेके पर एक और खेत ले लिया। आज रामनाथ हर सीजन में टमाटर के तीन सौ क्रेट निकालते हैं। इससे पांच लाख तक कारोबार हो जाता है। उनके बच्चे बेहतर शिक्षा पा रहे हैं, वहीं रामनाथ ने पक्का मकान भी बना लिया है। रामनाथ ने किसान भाइयों को संदेश दिया है कि वे खुद पर भरोसा रखें और कड़ी मेहनत करें। तो किसान भाइयो आपको कैसी लगी यह स्टोरी हमें जरूर बताएं।

ट्रांसपोर्टरों की हालत खराब, 10 दिन तक नहीं आ रही ट्रक लोडिंग की बारी

 हिमाचल में इस बार एक तो सेब की फसल कम है, ऊपर से लेबर की भी दिक्कत है। इससे ट्रांसपोर्टरों को भारी घाटा हो रहा है। देखिए नारकंडा से यह रिपोर्ट

हिमाचल की मंडियों में इस बार सेब की आवक कम है। इससे ट्रांसपोर्टरों को भारी घाटा हो रहा है। बाहर से आने वाले ट्रकों को लोडिंग के लिए दस दस दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। कोई ट्रक महाराष्ट्र से है,तो कोई तमिलनाडू से।  कोरोना के चलते ट्रक ड्राइवरों को गाडि़यों में ही सारा समय गुजारना पड़ रहा है। वे  मार्केट भी नहीं जा पा रहे हैं । इस कारण उन्हें खाने पीने से लेकर टायलट तक जाने में मुश्किल हो रही है। अपनी माटी टीम ने  हिमाचल के पहले सेब ट्रासपोर्टर जय गोपाल राजटा से बात की। जय गोपाल ने कहा कि वह राजटा गोल्डन ट्रांसपोर्ट नारकंडा के चेयरमैन हैं।

अगस्त में रोजाना उनके 30 से 40 ट्राले  बाहर जाते थे,लेकिन इस बार दस से बारह ट्राले ही लोड हो पा रहे हैं। इससे काफी नुकसान हो रहा है। इसी तरह बाहर से आने वाले ट्रांसपोर्टरों का कहना था कि पहले अगस्त माह में उनकी गाडि़यों का टैक्स माफ हो जाता था, लेकिन इस बार यह छूट नहीं मिल रही है।

बेलगाम बरसात…पहाड़ों पर दालों का हुआ नाश, मक्की को भी भारी नुकसान

हिमाचल  में मानसनू ने रौद्र रूप धारण कर दिया है। राज्य में बीते एक सप्ताह से मानसून सक्रिय चल रहा है। झमाझम बारिश होने से नदी-नाले उफान पर आ गए है।  बीते 10-12 दिनों में मानसून सक्रिय रहा है। इस दौरान मैदानी इलाकों सहित मध्यम ऊचांई वाले कई स्थानों पर भारी बारिश हुई है।  लगातार बारिश होने से राज्य मे अगस्त माह में अभी तक सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की जा रही है। मौसम विभाग के निदेशक डा. मनमोहन सिहं ने बताया कि प्रदश्े में अगस्त माह में अब तक सामान्य से अधिक बारिश हो चुकी ंहै। मौजूदा समय में बारिश सेब के आकार के लिए लाभदायक साबित हो रही है। मगर बारिश से किसानों को नुकसान पहुचां है। राज्य के मैदानी इलाकों में कई स्थानों पर भारी बारिश होने से मक्की की फसल बर्बाद हो गई है। ऊपरी शिमला में भी तेज बारिश होने से खेतों में बिजी गई दालों की फसलों को भी नुकसान पहुचा है।

   रिपोर्ट: कार्यालय संवाददाता-शिमला

बल्ह के किसानों ने एयरपोर्ट का क्यों किया विरोध

बल्ह में प्रस्तावित एयरपोर्ट के विरोध में बुधवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने अन्य संगठनों के साथ प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में मानव शृंखला 30 जगह प्रदर्शन किया और बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे का  पुरजोर विरोध किया। स्यांह में बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया ने कहा कि  बल्ह की जनता सरकार से जानना चाहती है कि बल्ह बहु फसली क्षेत्र है। यहां नकदी फसलों की आधुनिक तरीके से खेती होती है और इसे मिनी पंजाब के नाम से भी जाना जाता है, इसे क्यों उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि सरकार रोजगार नहीं दे रही है। बल्ह का पढ़ा-लिखा बेरोजगार नौजवान नकदी फसलें उगाकर अपना परिवार पाल रहा है, तो इसे क्यों उजाड़ा जा रहा है। प्रस्तावित हवाई अड्डे से करीब दस हजार की आबादी उजड़ेगी, वह कहां जाएगी। रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता-नेरचौक

डाक्टर ने अस्पताल की छत पर उगाया बागीचा लॉकडाउन में 500 पौधे उगाकर किया कमाल

इस बार कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में लोग मोबाइल फोन या फिर इंडोर गेम्ज में बिजी नजर आए,लेकिन कुछ ऐसे भी हैं , जिन्होंने अपनी क्रिएटिविटी से हर किसी को हैरान कर दिया है। कुछ ऐसा ही कारनामा किया है ऊना की डाक्टर किरण ने। स्टाफ रिपोर्टर ऊना की यह रिपोर्ट

ऊना की रहने वाली डाक्टर किरण एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट हैं। वह शहर में कंवर अस्पताल में सेवाएं दे रही हैं। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में उन्होंने मरीजों की सेवा से मिलने वाले समय का सदुपयोग करके कु छ ऐसा किया  कि हर कोई उनकी वाहवाही कर रहा है। उन्होंने अपने अस्पताल की छत पर 500 पौधों का बागीचा तैयार किया है।  एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट डाक्टर  किरण ने  बताया कि उनका अस्पताल पुराना होशियारपुर रोड पर स्थित  है। कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगा तो उन्होंने  अस्पताल में वेस्ट पड़ी प्लास्टिक की खाली कैनियों को काट कर इनमें पौधे रोप दिए। उनकी कड़ी मेहतन के बाद अब अस्पताल की छत पर करीब  500  औषधीय, सजावटी व हरी सब्जियों के पौधे तैयार हो गए हैं। ये पौधे यहां हर किसी को लुभा रहे हैं। बहरहाल हर कोई डाक्टर किरण के प्रयासों की सराहना कर रहा है

देशी खाद से तैयार की प्योर नैचुरल मक्की

अंग्रेजी खाद से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हुई है, इसमें कोई दोराय नहीं है। मौजूदा समय में बंदरों, लावारिस पशुओं और महंगी खादों से तंग आकर कई किसान खेती छोड़ चुके हैं। इस सबके बावजूद कुछ किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर मिसाल कायम कर रहे हैं। इन्हीं किसानों में एक हैं कांगड़ा जिला में फतेहपुर ब्लाक की  पंचायत रैहन के कांगड़ गांव निवासी़ विधि चंद। विधि चंद  ने प्राकृतिक खेतीबाड़ी अपनाकर मक्की की बेहतरीन फसल तैयार की है। विधि चंद खुद कुछ साल से हार्ट अटैक के बाद बीमार चल रहे हैं,लेकिन उन्होंने बीमारी की बाधाओं से पार पाकर प्राकृतिक खेती की मिसाल कायम की है। उन्होंने बताया कि देसी खाद से ही वह यह सब कर पाए हैं। आज पूरे प्रदेश को विधि चंद जैसे मेहनती किसानों पर नाज है

       रिपोर्ट, निजी संवाददाता, नूरपुर

खुन्न आलू फार्म की हालत खस्ता

सब्जियों का राजा कहा जाने वाला आलू फसल के लिए वर्ष 1963 में आनी उपमंडल की ग्राम पंचायत चवाई से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित खुन्न आलू फार्म की स्थिति काफी खस्ता है। कृषि विभाग की ओर से यहां न तो बैठने के लिए कोई दफ्तर बना है न ही फसल व अन्य संपत्ति के रख-रखाव के लिए कोई चौकीदार भवन। स्थिति  इतनी ज्यादा खराब है कि वर्षों पुराने बने आलू की फसल के भंडारण के लिए स्टोर जर्जर हालात में है, जो कभी भी गिर सकता है।

 इस स्थान पर आलू की फसल भी नहीं उगाई जा रही है, जिससे क्षेत्र के किसान-बागबानों को काफी झटका लगा है, क्योंकि किसान-बागबानों को आलू फार्म से सस्ते व उम्दा किस्म का आलू उपलब्ध होता था, हालात इतने खराब है कि 40 बीघा भूमि बंजर पड़ी है।  वहीं, फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए कोई सुरक्षा दीवार की भी अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे अगर कभी फसल उगा भी ली जाती है, तो जंगली जानवरों, खासकर बंदरों से बचाना मुश्किल कार्य है।  चौकीदार के ठहराव व रहने के लिए बनाए जा रहे भवन का निर्माण कार्य भी अधर में लटका पड़ा है। क्षेत्र के किसान-बागबानों ने कृषि विभाग व सरकार से गुहार लगाई है कि इस आलू फार्म की स्थिति सुधारी जाए और हर वर्ष यहां आलू की फसल उगाई जाए, ताकि लोगों को उचित दाम पर उम्दा किस्म का बीज मिल सकें, जिसे उगाकर किसान बागबान अपनी आजीविका चला सकें। रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, ऊना

क्या कहते है क्षेत्रीय आलू विकास अधिकारी

वहीं, इस बारे आरपीडीओ कुल्लू राजेंद्र गुलेरिया ने बताया कि आलू की फसल में निकाटोल नामक बीमारी लगी है जिसके उपचार के लिए हौदराबाद से विशेषज्ञ आने थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते विशेषज्ञ नहीं आ पाए हैं। उन्होंने कहा कि आलू फसल में ये बीमारी न अधिक न फैले इसलिए इस वर्ष आलू की फसल नहीं उगाई गई है। वहीं, उन्होंने कहा कि चौकीदार के ठहरने के लिए बनाए जा रहे भवन का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बजट के अभाव में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि स्टोर की मुरम्मत व ऑफिस निर्माण के लिए प्राकलन तैयार करके इसे जल्द ही उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा, ताकि वहां पर एक अच्छा स्टोर व अन्य लोगों के लिए एक ऑफिस का निर्माण हो सके।

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