कोरोना ने बर्बाद की आम की फसल
गगरेट में कोविड-19 के चलते व्यापारी खरीद के लिए नहीं आ सके, पेड़ों के नीचे ही सड़ने लगे आम
गगरेट-कोरोना की मार महज आम जनजीवन पर ही नहीं पड़ी है बल्कि कोरोना महामारी ने फलों के राजा आम को भी धराशयी करके रख दिया है। आलम ये है कि बंपर पैदावार के बावजूद इस बार फलों के राजा आम का वो सत्कार नहीं हो रहा है जो पहले होता आया है। हालात यह हैं कि बंपर पैदावार के बावजूद आम के पेड़ों के नीचे ही आम की पैदावार सड़ने को मजबूर है। कोरोना वायरस की वजह से न तो पड़ोसी राज्यों के व्यापारी इसकी खरीद के लिए यहां आ पाए हैं और न ही स्थानीय व्यापारियों ने इसे तरजीह दी है। हालांकि आम की पैदावार की खरीद के लिए हिमफेड के माध्यम से जिले में तीन आम खरीद केंद्र स्थापित किए हैं, लेकिन यहां भी व्यापारी और बागबान अपनी फसल ले जाने से नाक-मुंह ही चढ़ा रहे हैं। जिला ऊना के साथ-साथ कांगड़ा, हमीरपुर व बिलासपुर में देशी आम की खासी पैदावार होती है। इस बार का सीजन आम की पैदावार के उपयुक्त है तो आम की बंपर पैदावार भी हुई है। देसी आम आचार, मुरब्बा व आम की चटनी के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है। इससे पहले व्यापारी व आम उत्पादक बागबान आम की पैदावार को पंजाब की मंडियों में पहुंचा कर अच्छा मुनाफा कमाते थे लेकिन इस बार कोरोना काल की मार कहें कि न तो पंजाब के व्यापारी आम की पैदावार को खरीदने के लिए यहां आ पाए और न ही स्थानीय व्यापारी आम की पैदावार को पंजाब की मंडियों तक पहुंचाने को तरजीह दे रहे हैं। प्रदेश सरकार ने भी आम की पैदावार को खरीदने के लिए एचपीएमसी व हिमफैड के माध्यम से प्रदेश में आम खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। जिला ऊना में भी बंगाणा, ऊना व अंब में हिमफैड की मार्फत ये केंद्र स्थापित किए गए हैं जबकि आम का समर्थन मूल्य भी साढ़े आठ रुपए तय किया गया है।
बावजूद इसके व्यापारी व बागबान अपनी पैदावार इन आम खरीद केंद्रों तक पहुंचाने से परहेज कर रहे हैं। बागबानी विभाग की मानें तो इस बार जिला ऊना में आम की बंपर पैदावार हुई है और आम का उत्पादन इस बार जिले में सोलह हजार मीट्रिक टन होने का अनुमान है। बावजूद इसके फलों का राजा इस बार सड़ने को मजबूर है। हालात यह हैं कि जिले में हिमफैड द्वारा तीन आम खरीद केंद्र स्थापित करने के बावजूद यहां बिकने के लिए एक किलो तक आम नहीं पहुंचा है। एक आकलन के अनुसार आम की फसल की हुई बेकद्री से जिला ऊना में ही इस साल बागबानों को लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है। हिमफैड के जिला प्रभारी प्रदीप कुमार का कहना है कि जिले में स्थापित किए गए तीन आम खरीद केंद्रों पर अभी तक एक भी बागबान या व्यापारी आम की फसल लेकर नहीं पहुंचा है। उधर बागबानी विभाग के उपनिदेशक सुभाष चंद का कहना है कि इस बार जिला में सोलह हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने का अनुमान है। उन्होंने माना कि कोरोना की वजह से इस बार आम की फसल की बेकद्री हुई है।
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