लिफाफे बनाकर गुजारा कर रहा दिव्यांग परिवार

जवाली – विस क्षेत्र कोटला के अंतर्गत कोटला में सरकार व पंचायत की अनदेखी के चलते दिव्यांग दंपत्ति लिफाफे बनाकर परिवार चलाने को मजबूर है। परिवार का मुखिया कमल किशोर 45 फीसदी दिव्यांग है, तो वहीं उसकी पत्नी आशा कुमारी 50 फीसदी दिव्यांग है। इसके साथ ही उनकी बेटी स्मृति 80 फीसदी दिव्यांग है। कमल किशोर अपने ससुराल कोटला मे रहता है, जबकि उसका पैतृक गांव विस क्षेत्र शाहपुर के तहत गांव रेहलू में है। कमल की पत्नी आशा कुमारी अपने माता.-पिता की इकलौती संतान है, जो कि दोनों टांगों से दिव्यांग है। पति कमल एक बाजू से पूरी तरह दिव्यांग है, जबकि उसकी दूसरी बाजू नाममात्र काम करती है। यह दिव्यांग परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से लेकर कई आला दर्जे के उच्चाधिकारियों से नौकरी की गुहार लगा कर  थक गया है तथा अब हौंसला भी साथ छोड़ चुका है। कमल किशोर ने कहा कि जब रितेश चौहान जिलाधीश कांगड़ा थे, तो उनके हस्तक्षेप से नन्हीं स्मृति को दिव्यांग पेंशन तुरंत लग गई थी। दिव्यांग परिवार को सरकार से स्थायी रोजगार की आस है, जिससे वह अपनी बेटी का इलाज करवा सके। दिव्यांग आशा कुमारी का कहना है कि मैंने जमा दो तक पढ़ाई की है। मुझे नौकरी मिलनी चाहिए थी, क्योंकि जब हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था तो उसके जबाव में नरेंद्र मोदी ने एक पत्र मुझे और एक पत्र उन्होंने हिमाचल सरकार को भेजा था कि इस परिवार को दिव्यांग कोटे में नौकरी दी जाए, मगर इतने साल बीत जाने के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली है।