महालक्ष्मी व्रत का महत्व

By: Aug 29th, 2020 12:24 am

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। हर वर्ष महालक्ष्मी का यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।  धन-संपदा और समृद्धि की देवी माता महालक्ष्मी की पूजा भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होती है। महालक्ष्मी का व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद से प्रारंभ होता है। जो लोग 16 दिनों तक महालक्ष्मी का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आखिरी दिन महालक्ष्मी व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत और महत्त्व के बारे में। मां लक्ष्मी जी के 8 अवतार बताए गए हैं, महालक्ष्मी, जो वैकुंठ में निवास करती हैं। स्वर्गलक्ष्मी, जो स्वर्ग में निवास करती हैं। राधाजी, जो गोलोक में निवास करती हैं। दक्षिणा, जो यज्ञ में निवास करती हैं। गृहलक्ष्मी, जो गृह में निवास करती हैं। शोभा, जो हर वस्तु में निवास करती हैं। सुरभि (रुकमणि), जो गोलोक में निवास करती हैं और राजलक्ष्मी (सीता जी), जो पाताल और भूलोक में निवास करती हैं।

आदिलक्ष्मी- आदिलक्ष्मी को ही महालक्ष्मी कहा जाता है जो कि ऋषि भृगु की बेटी है।

धनलक्ष्मी- कहते हैं कि भगवान विष्णु ने एक बार देवता कुबेर से धन उधार लिया था, जिसे समय पर वो चुका नहीं सके, तब धनलक्ष्मी ने ही विष्णुजी को कर्ज मुक्त करवाया था।

धान्यलक्ष्मी– धान्य का अर्थ होता है अनाज चावल। यह लक्ष्मी व्यक्ति के घर में धान्य देती है।

गजलक्ष्मी – पशु धन दात्री की देवी को गजलक्ष्मी कहा जाता है। पशुओं में हाथी को राजसी माना जाता है। गजलक्ष्मी ने भगवान इंद्र को सागर की गहराई से अपने खोए धन को हासिल करने में मदद की थी। गजलक्ष्मी का वाहन सफेद हाथी है।

संतानलक्ष्मी –  संतानों की देवी संतानलक्ष्मी का यह रूप बच्चों और अपने भक्तों को लंबी उम्र देने के लिए है। संतानलक्ष्मी को इस रूप में एक बच्चे को गोद में लिए दो घड़े, एक तलवार और एक ढाल पकड़े, छह हथियारबंद के रूप में दर्शाया गया है। अन्य दो हाथ अभय मुद्रा में दर्शाए गए हैं।

वीरलक्ष्मी – यह लक्ष्मी जीवन के संघर्षों पर विजय पाने और युद्ध में वीरता दिखाने के लिए शक्ति प्रदान करती हैं।

विजयलक्ष्मी या जयालक्ष्मी – विजया का मतलब है जीत। विजय या जयालक्ष्मी जीत का प्रतीक है। यह एक लाल साड़ी पहने एक कमल पर बैठे, आठ हथियार पकड़े हुए रूप में दिखाई गई हैं।

विद्यालक्ष्मी – विद्या का मतलब शिक्षा के साथ ज्ञान भी है। देवी का यह रूप हमें ज्ञान, कला और विज्ञान की शिक्षा प्रदान करता है। विद्या लक्ष्मी को कमल पर विराजमान बताया गया है, जिसमें चार हाथ हैं। सफेद साड़ी पहने इन लक्ष्मी के दोनों हाथों में कमल नजर आता है और दूसरे दो हाथ अभय और वरदा मुद्रा में है। माता लक्ष्मी की पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ करनी चाहिए।


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