मजदूर-किसानों का आज हल्ला बोल

By: Aug 9th, 2020 12:01 am

श्रम कानूनों में बदलाव और किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ फूंकेंगे आंदोलन का बिगुल

शिमला-केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ नौ अगस्त को मजदूरों द्वारा भारत बचाओ दिवस व किसानों द्वारा किसान मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान मजदूर व किसान अपने कार्यस्थल व सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकेंगे। इस दौरान सभी जिलाधीशों के माध्यम से भारत सरकार के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के हिमाचल प्रदेश संयोजक डा. कश्मीर ठाकुर ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वे मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें, अन्यथा मजदूर-किसान आंदोलन तेज होगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए  कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्त्रिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा तीन जून  को कृषि उपज, वाणिज्य एवम व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश व आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है। यह सरकार देश की जनता के संघर्ष के परिणामस्वरूप वर्ष 1947 में हासिल की गई आजादी के बाद जनता के खून-पसीने से बनाए गए बैंक, बीमा, बीएसएनएल, पोस्टल, स्वास्थ्य सेवाओं, रेलवे, कोयला, जल, थल व वायु परिवहन सेवाओं, रक्षा क्षेत्र, बिजली, पानी व लोक निर्माण   सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को पूंजीपतियों को कौडि़यों के भाव पर बेचने पर उतारू है।

इन मुद्दों पर चलेगा संघर्ष

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के हिमाचल प्रदेश संयोजक डा. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने, मजदूरों का वेतन 21 हजार रुपए घोषित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने, किसान विरोधी अध्यादेशों को वापस लेने, मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने, उनकी छंटनी पर रोक लगाने, किसानों की फसलों का उचित दाम देने, कर्जा मुक्ति, मनरेगा के तहत  दो सौ दिन का रोजगार, कारपोरेट खेती पर रोक लगाने, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्कर्ज को नियमित कर्मचारी घोषित करने, फिक्स टर्म रोजगार पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपए की आर्थिक मदद देने की मांगें, इस आंदोलन के प्रमुख नारे होंगे।


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