नई शिक्षा नीति सराहनीय
मोदी सरकार ने देश की शिक्षा नीति में लगभग 34 वर्ष बाद जो बदलाव किया, उस पर सभी के अपने-अपने विचार हो सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो सके। नई शिक्षा नीति में भावी पीढ़ी को देश की राष्ट्रभाषा, स्थानीय भाषा और यहां तक कि संस्कृत भाषा से गूढ़ परिचय कराने का और छठी कक्षा के बाद ही वोकेशनल विषय से विद्यार्थियों को रूबरू कराने का प्रावधान है। छात्रों के कैरियर को संवारने का अच्छा प्रयास इस नई नीति में है। इस नीति में उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों को खेल, संगीत, पर्यावरण के साथ जोड़ने का जो प्रयास है, वह भी सराहनीय है। इस बदलाव से बच्चों में आवश्यक ज्ञान, मूल्य, हुनर व कौशल का विकास होगा। विपक्ष को अगर इस पर आपत्ति है तो उसे सरकार को अपने सुझाव देने चाहिए।
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा
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