पंद्रह हजार करोड़ न खर्च पाए विभाग, बिना इस्तेमाल पड़ी धनराशि का सामने आया सच

विशेष संवाददाता—शिमला

प्रदेश के सरकारी विभाग 12 हजार करोड़ नहीं, बल्कि 15 हजार करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए हैं। वर्ष 2001 से लेकर अब तक यह राशि विभिन्न विभागों के फील्ड कार्यालयों के पास पड़ी है। सरकार के पास पहले 12 हजार करोड़ के आंकड़ों का अनुमान था, मगर अब यह सच्चाई तब सामने आई है, जब अलग-अलग जिलों में मंत्रियों ने लंबित राशि को खंगाला। सरकार ने विशेष तौर पर मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंप रखी थी, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट कैबिनेट सब-कमेटी को दी है।

अलग-अलग जिलों से सरकार को आई जानकारी के अनुसार 15 हजार करोड़ रुपए ऐसा है, जिसे खर्च नहीं किया जा सका, जो कि विभिन्न योजनाआें का पैसा है। इसमें सबसे अधिक धनराशि लोक निर्माण विभाग के पास बताई जा रही है, जिसके पास अलग-अलग योजनाओं में पैसा फील्ड को दिया गया, लेकिन यह सड़कों के निर्माण पर नहीं लगा। अभी इस पैसे से कई सड़कें बननी हैं, जिनके प्रस्ताव सरकार ने मांग लिए हैं। इसके अलावा सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के एक-एक बीडीओ के पास लगभग 25-25 करोड़ रुपए की राशि ऐसी पड़ी है, जो वह खर्च नहीं कर पाए हैं।

कई योजनाओं के अधीन इन लोगों के पास केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से पैसा आता है, वहीं राज्य के बजट की भी राशि रहती है, जिसको पूरी तरह से खर्च नहीं किया जा सका है। वर्ष 2001 से लेकर 2020 में वर्तमान तक यह धनराशि पड़ी है, जिसे लेकर सरकार अब गंभीर है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की वजह से यह खुलासा हो सका, क्योंकि इनकी कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। इसके अलावा वित्तायोग का करोड़ों रुपया पड़ा हुआ है, जिसको खर्च नहीं किया जा सका।

14वें वित्तायोग की राशि खर्च नहीं होने से यह सामने आया कि फील्ड के पास पैसा पड़ा है, जिसके बाद सरकार ने कैबिनेट में इस पर चर्चा कर निर्णय लिया। कैबिनेट मंत्रियों की ड्यूटी अलग-अलग जिलों में लगाई गई है, जिन्होंने वहां जाकर बैठकें हाल ही में की हैं। बैठकों के बाद कई तरह की हिदायतें भी जिलाधीशों और विभाग के अध्यक्षों को दी गई हैं। अभी यह विस्तृत रिपोर्ट कैबिनेट के सामने भी लाई जाएगी, जिसे कैबिनेट सब-कमेटी को दिया गया है।

अब खर्च को बन रही रणनीति

राजस्व एवं जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि यह राशि 12 हजार करोड़ रुपए कर आंकी गई थी, लेकिन अब पता चला है कि यह 15 हजार करोड़ तक है, जो कि खर्च नहीं की गई है। इसे विकास कार्यों में लगाने के लिए विस्तृत रणनीति के साथ काम शुरू कर दिया गया है।