प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बनेंगे किसान
प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना में प्रदेश के 50 हजार किसानों को कवर करने का लक्ष्य, देशी गाय की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान
दिव्य हिमाचल ब्यूरो – बिलासपुर
आतमा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) परियोजना में प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना के तहत प्रदेश के 50 हजार किसान कवर किए जाएंगे। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए यह लक्ष्य तय किया गया है। अकेले बिलासपुर में ही 3000 किसानों को कवर किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य प्राकृतिक खेती के जरिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। जानकारी के मुताबिक मार्च 2020 तक प्रदेश में 53000 के करीब किसान कवर हो चुके हैं, जबकि बिलासपुर जिला में यह आंकड़ा 3017 है। ऐसे में प्रदेश व जिलों के आंकड़े में बढ़ोतरी के लिए इस वित्त वर्ष के लिए भी लक्ष्य तय किए गए हैं।
सरकार ने कृषि क्षेत्र में आवश्यक सुधार के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना पर आधारित कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिसके तहत खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, सब्जियों, फलदार पौधों व देशी गाय के रखरखाव व प्रबंधन के अतिरिक्त देशी गाय खरीदने पर 50 प्रतिशत अनुदान (25 हजार रुपए अधिकतम) दिए जाने का प्रावधान किया है। देशी गाय के रखरखाव के लिए फर्श पक्का करने को आठ हजार रुपए का अनुदान तथा खेती में प्रयोग होने वाले घटकों को बनाने के लिए प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत अनुदान (750 रुपए अधिकतम) तय किया है। किसानों को प्राकृतिक खेती के तहत पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय, नौणी विश्वविद्यालय पुणे महाराष्ट्र व भरतपुर राजस्थान में प्रशिक्षण दिलवाया जा रहा है।
बिलासपुर जिला के 190 कृषकों व 13 अधिकारियों को यह प्रशिक्षण दिलवाया जा चुका है।उधर, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण बिलासपुर के परियोजना निदेशक डा. रवि शर्मा ने बताया कि वर्ष 2020-21 में आतमा परियोजना के तहत एक करोड़ 17 लाख 55 हजार रुपए की कार्य योजना अनुमोदित हो चुकी है, जिसे विभिन्न मदों में व्यय किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए जिला स्तर पर एक अतिरिक्त परियोजना उपनिदेशक की नियुक्ति तथा खंड स्तर पर एक-एक अतिरिक्त एटीएम लगाए गए हैं।
हर महीने पांच तारीख को सजेंगे उत्पाद
इस वर्ष जिला की सभी पंचायतों में इच्छुक किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना है, जिस पर काम शुरू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त जिला मुख्यालय बिलासपुर में हर महीने की पांच तारीख को प्राकृतिक खेती कर रहे कृषकों के उत्पाद बिक्री के लिए लाए जाने लगे हैं और आने वाले समय में इस व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाएगा।
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