सबसे बड़े कारोबार का दुश्मन कोरोना वायरस

By: Aug 9th, 2020 12:10 am

हिमाचल में एक सेब सीजन में पांच हजार करोड़ रुपए का बिजनेस होता है। इस बार कोरोना संकट है। सोशल डिस्टेंसिंग,मास्क और सेनेटाइजेशन को अपनाकर काम करना बड़ा चैलेंज बन गया है। 

पेश है सेब बैल्ट नारकंडा से हमारे संवाददाता की यह रिपोर्ट

हिमाचल में सबसे बड़े कारोबार यानी सेब सीजन पर कोरोना ने बड़ी मार दे  दी है। प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में सेब सीजन चरम पर है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से बेचने वालों से लेकर खरीददार तक बराबर मुश्किल हो रही है। नारकंडा की ही बात करें,तो यहां बागबानों को मजदूर नहीं मिल पा रहे थे।

वहीं, बाहर से आने वाले कारोबारियों को ई पास समय पर नहीं मिल रहे।  कोरोना भीड़ का दुश्मन है और बिना भीड़ सेब कारोबार संभव नहीं है। ऐसे में कारोबारी मास्क संभालें या सोशल डिस्टेंसिंग देखें, सेनेटाइजेशन का ध्यान रखें या फिर बाहरी राज्यों से आने वालों से दूरी। कुल मिलाकर कोरोना खूब नुकसान करवा  रहा है। कारोबारियों का यह भी कहना है कि अगर ई पास के अलावा सात दिन की जगह चार दिन बाद ही उनके कोविड टेस्ट हो जाएं,तो काम काफी हद तक आसान हो जाएगा। बहरहाल कारोबारियों ने अपनी माटी के जरिए प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।

मतियाना के बागबान ने पछाड़ा विदेशी सेब, होनहार फार्मर की मेहनत लाई रंग

मतियाना की न्यू जेसीओ सेब मंडी में बुधवार को ईटली से लाइ गइ डार्क बेरन गाला बैरायटी का सेब 2175 रुपए बिका। न्यू जेसीओ मंडी के संचालक सौरव कंधारी ने बताया कि उनके पास बेहद ही उमदा किस्म का सेब आया था जिसको लेने के लिये खरीददारों मे होड लग गइ और बोली में सेब मेरे अनुमान से भी ज्यादा आगे निकला और 2175 रूप्ये हाफ बाक्स का रेट पहुंचा।  सौरव ने बागवानो से अपील की है कि हरा और कच्चा माल मंडियों मे ना लाए अपनी फसल को पूरी तरह तैयार होने के बाद ही मंडी में लाए आपको अच्छे दाम मिलेगे।

वहीं, मतियाना के चमरौत गांव के प्रगतिशील बागवान अमीन चंदेल ने बताया कि डार्क बेरन गाला बैरायटी का सेब उन्होने गत वर्ष इटली से इंपोर्ट किया था जिसमे इस साल अच्छी पैदावार हुइ है और आज मार्केट में अभी तक का सबसे ज्यादा रेट मिला है। उन्होंने कहा कि उनका हाफ बॉक्स 2175 रुपए मे बिका है अगर इसे पूरे बाक्स मे तबदील किया जाए तो इसका दाम लगभग 5300 प्रति पेटी के हिसाब से मिला है। अमीन चंदेल ने बागवानो से भी अपील की है कि हमारी परंपरागत सेब वैरायटी रॉयल के साथ साथ हमे विदेशी सेबो को पछाडने के लिये नइ वैरायटी वाले सेबों की पैदावार भी करनी पडे़गी।

रिपोर्टः निजी  संवाददाता, मतियाना

पेड क्वारंटीन में लुट रहे सेब खरीदने आए कारोबारी, एक दिन का किराया तीन हजार

हिमाचल में इस बार सेब कारोबार बुरी तरह हिला है। बाहर से आए कारोबारियों की महंगी  पेड क्वारंटीन ने कमर तोड़ दी है। कारोबारियों ने खाने से लेकर रूम सर्विस तक की शिकायतें की हैं। पेश है मतियाना से निजी संवाददाता की यह दूसरी रिपोर्ट

सेब सीजन का रिजल्ट चाहे जैसा भी रहे, लेकिन यह तय है कि इस बार हिमाचल से बाहरी कारोबारी कड़वे अनुभव लेकर जाने वाले हैं। शिमला जिला के ठियोग से लेकर मतियाना, नारकं डा में अपनी माटी टीम ने कई कारोबारियों से बात की। ज्यादातर का कहना है कि इस बार उन्हें सात दिन पेड क्वारंटीन में रहना पड़ रहा है।

उनकी मजबूरी को होटल मालिकों ने भांप लिया है। वे कारोबारियों से एक दिन का एक कमरे का तीन हजार रुपए वसूल रहे हैं। कुछ कारोबारियों ने यहां की रूम सर्विस को जीरो बताया है। उनका कहना था कि रात को उन्हें नौ बजे बंद कर दिया जाता था। सुबह तक नौ बजे तक उनकी कोई सुध नहीं लेता था। कई कारोबारियों ने बताया  कि नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट वालों के भी सात दिन बाद सैंपल लिए जा रहे हैं। पहले यह पीरियड चार दिन का बताया गया था। बहरहाल कई बिजनेसमैन यह कहते सुने गए कि आगामी सीजन में वे सोच समझकर ही हिमाचल आएंगे। दूसरी ओर हैल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि चार दिन बाद सैंपल लेना संभव नहीं है

बागबानी विभाग मंगवाएगा नेपाली मजदूर, यहां भेजें रिक्वेस्ट

हिमाचल प्रदेश का बागबानी महकमा नेपाल से मजदूरों का इंतजाम करके देगा।  यह दावा बागबानी विभाग ने किया तो है मगर वह खुद असमंजस की स्थिति में है क्योंकि अभी तक भारत और नेपाल के बीच मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित नहीं हुए हैं और तनाव बरकरार है। इसी वजह से नेपाल से यहां पर मजदूर नहीं आ रहे हैं मगर बागवानी विभाग ने यहां बागवानों व ठेकेदारों से इस संबंध में अपनी रिक्वेस्ट भेजने को कहा है जिसे वह गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय व भारतीय दूतावास को भेजेगा। एक वेब पोर्टल बागवानी विभाग ने बनाया है जिसमें लोग अपनी डिमांड भेज सकते हैं। शिमला के एडीएम कानून एवं व्यवस्था की ओर से प्रेस बयान भी इस संबंध में जारी किया गया है।

उनके अनुसार  उद्यान विभाग के ई-उद्यान पोर्टल http://covidepass. eypoc.com/applications/orchardist/apply से इस लिंक को जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए तैनात नोडल अधिकारी की देख-रेख में विदेश मंत्रालय, केन्द्रीय गृह विभाग व भारतीय दूतावास को डाटा भेजा जाएगा और भारतीय दूतावास द्वारा नेपाली दूतावास से सम्पर्क कर सूचना साझा करेंगे।                                                                                              रिपोर्टः      विशेष संवाददाता, शिमला

कटघरे में सरकार का ये दावा

डेढ़ साल में बेसहारा पशुओं से कैसे मुक्त होगा प्रदेश, किसानों को कब मिलेगी राहत

हिमाचल अगले डेढ़ साल में बेसहारा पशुओं से मुक्त हो जाएगा। जो भी पशु वर्तमान में सड़कों पर हैं उन सभी को आश्रय दिया जाएगा। यह स्क्रिप्ट किसी टीवी सीरियल की नहीं, बल्कि हिमाचल सरकार का एक और लक्ष्य है।  सरकार ने बाकायदा नई योजना की शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जोर देकर कहा है कि कि डेढ़ साल के भीतर हिमाचल प्रदेश को देश का बेसहारा पशु मुक्त राज्य बनाने के प्रयास जारी हैं। सरकार का कहना है कि गोसदन, गोशाला, गो अभयारण्य योजना सहायता के अंतर्गत भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क और राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्ण टैगिंग के बाद उन सभी गोसदनों, गोशालाओं, और गो अभयारण्यों के रखरखाव के लिए भत्ते के रूप में प्रति माह 500 प्रति गाय दिए जाएंगे, जिनमें मवेशियों की संख्या 30 या इससे अधिक है। उन्होंने कहा कि इन लाभों को सरकार द्वारा स्थापित गो अभयारण्यों, गोशालाओं, पंचायतों, महिला मंडलों, स्थानीय निकायों और गैर-सरकारी संगठनों आदि द्वारा चलायी जा रही गौ अभयारण्यों और गोशालाओं तक बढ़ाया जाएगा। किसी को भी अपने मवेशियों को लावारिस छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।  अब सरकार की यह योजना कितनी कामयाब हो पाती है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।                                                                                        रिपोर्ट: विशेष   संवाददाता, शिमला

टमाटर के घर में लहसुन की बादशाहत

शिमला में सेब की धाक  है तो सोलन में टमाटर का बोलबाला है। लेकिन इस बार सोलन में लहसुन ने हर किसी को हैरान कर दिया है। इस बार टमाटर की फसल पर लहसुन भारी पड़ रहा है। इन दिनों सोलन में लहसुन के दाम 60 रुपए से बढ़कर 160 रुपए हो गए हैं। इससे किसानों का कोरोना काल हुआ घाटा काफी हद तक पूरा हो गया है।  लहसुन के कारोबार से जुड़े जानकार बता रहे हैं कि बेशक इस बार लहसुन का एक्सपोर्ट नहीं हो पाया लेकिन दाम ठीक हैं। इसके अलावा अब कई  साउथ इंडियन मंडियां भी खुल गई हैं। ऐसे में वहां लहसुन की डिमांड बढ़ने से हिमाचल में भी इसके दाम बढ़े हैं। कुल मिलाकर कारण जो भी हों, लहसुन ने किसानों को मालामाल कर दिया है ।                                                     रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, सोलन

पनियाल के हरि सिंह ने उगाए पांच फुट के पंडोल

नगरोटा सूरियां। पनियाल गांव के हरि सिंह ने अपने खेतों में साढ़े पांच फुट के पंडोल तैयार किए हैं। जिसके लिए उन्होंने देशी खाद का प्रयोग किया है। हरि सिंह ने बताया कि लॉकडाउन दौरान घर में हरी सब्जियां उगाने के बारे में सोचा। आज हरि सिंह के खेतों में साढ़े फुट के पंडोल तैयार करके मिसाल पेश की है।

प्राकृतिक खेती… किसानों को मिलेंगे सर्टिफिकेट

शिमला। हिमाचल में प्राकृतिक खेती कर रहे हजारों किसानों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश में दो वर्ष पहले किसानों की कृषि लागत को कम कर आय में बढ़ोतरी के लिए शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती को अपना चुके किसानों की सर्टिफिकेशन सरकार की ओर से की जाएगी।  मुख्य सचिव अनिल खाची ने बताया कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को मार्केट में सही दाम मिल सके, इसके लिए सर्टिफिकेशन बेहद जरूरी है।

कांगड़ा के धान पर क्यों फिदा है दुनिया

धान की खेती कर कांगड़ा के किसान खुद को आत्मनिर्भर बना रहे है। कांगड़ा के 2050 हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है। हर सीजन में करीब 4150 मीट्रिक टन धान की पैदावार हो रही है। खास बात यह है कि यहां तैयार होने वाले धान की मांग भी अधिक है। कांगड़ा का धान बाहरी राज्यों में भी सप्लाई किया जा रहा है। इस बार कृषि विभाग ने कांगड़ा ब्लाक में 17 क्विंटल धान का हाईब्रीड बीज किसानों को वितरित किया है। किसान भी अपनी कड़ी महनत से धान की खेती पर अधिक जोर दे रहे है। वहीं कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को अच्छी प्रजाति की उपजशील धान की खेती के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को उन्नत खेती के लिए बेहतर तरीके से प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। कांगड़ा में धान की खेती की तैयारी परंपरागत तरीके से की जाती है। यहां किसान परमल सहित बासमती भी उगा रहे हैं। रानीताल, कच्छियारी व कोहाला आदि में खेती पर ज्यादा फोक्स किया जा रहा है। इस बार विभाग द्वारा एराइज 6508 और सावा 200 हाईब्रीड सीड वितरित किया गया है। इसके अलावा कुछ अन्य बेहतरीन किस्मों के धान को किसानों ने मार्केट से भी खरीदा है। सितंबर-अक्तूबर में कांगड़ा में धान कटाई का कार्य शुरू होता है। हालांकि मौजूदा समय में अच्छी पैदावार देखने को मिल रही है, लेकिन अभी कहीं से भी विभाग को किसी तरह की बीमारी लगने की शिकायत नहीं पंहुची है। विभाग की मानें तो इस समय धान पर तना छेदक  कीट व राइस ब्लास्ट बीमारी का अटैक होने का खतरा बना हुआ है। इस कीट पर शुरूआती दौर में ही नियंत्रण करना जरूरी है। तना छेदक कीट के फसल में लगने से पौधा बीच से सूखने लगता है और पौधे का ऊपरी भाग अलग हो जाता है। इसके अलावा विभाग ने कांगड़ा से मिट्टी के 240 नमूने भी जांच के लिए पालमपुर लैब भेजे हैं। हर सर्किल से 40 नमूने एकत्रित किए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है।

रिपोर्टः   हैडक्वार्टर ब्यूरो

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