सीमा पर आक्रामकता दिखा रहे चीन को जवाब: भारत ने ठुकराई चीनी भाषा

By: Aug 2nd, 2020 12:06 am

चीनी सामानों के साथ चाइनीज से भी किनारा, सरकार ने एनईपी में किया बॉयकॉट

नई दिल्ली – सीमा पर आक्रामकता दिखा रहे चीन को जवाब देने के लिए एक तरफ चीनी सामानों के बहिष्कार की मुहिम चल रही है, तो इस बीच सरकार ने पड़ोसी देश की भाषा को भी ठुकरा दिया है। हाल ही में कैबिनेट की ओर से मंजूर नई शिक्षा नीति में चाइनीज को विदेशी भाषाओं की उस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिन्हें सेकेंड्री स्कूल लेवल पर छात्रों को पढ़ाया जाएगा। इस सूची में फ्रेंच, जर्मन, जापानी, कोरियन, स्पैनिश, पोर्तगीज, रसियन, और थाई को विकल्प के रूप में रखा गया है, जिन्हें छात्र चुन सकते हैं। हालांकि, पिछले साल जब नई शिक्षा नीति का मसौदा जारी किया गया था, तब इसमें फ्रेंच, जर्मन, जापानी और स्पैनिश के साथ चाइनीज का जिक्र भी था।  सूचना और प्रसारण मंत्री केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़केर और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल की ओर से जारी नई शिक्षा नीति (एनईपी) में चाइनीज को हटा दिया गया है। माना जा रहा है कि यह फैसला चीन के साथ चरम पर पहुंचे तनाव की वजह से लिया गया है। पिछले महीने 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। गलवान घाटी हिंसा के बाद दोनों देशों में तनाव बहुत अधिक बढ़ चुका है।

पीएम मोदी बोले, अब मैथ के साथ पढ़ेंगे म्यूजिक

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम को स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले  के प्रतिभागियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। छात्रों से बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवा भारत टैलेंट का भंडार है और देश की समस्याओं के लिए उनके पास नए और रचनात्मक समाधान हैं। थोड़े से गाइडेंस के साथ वे कोविड-19 महामारी के बीच और उसके बाद के समय में देश को काफी आगे ले जा सकते हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान नई शिक्षा नीति की खूबियां गिनाईं। पीएम ने कहा कि अब आर्ट, साइंस और कॉमर्स के बीच की दूरी हटा दी गई है। अब आप मैथ के साथ म्यूजिक भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और तेजी से बदली दुनिया में भारत को भी तेजी से बदलना होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए कहा कि इसमें पहले की कमियों को दूर किया गया है। नई शिक्षा नीति नौकरी खोजने वालों के बजाय नौकरी देने वालों को बनाने पर जोर देती है।


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