श्री राम के आदर्शों पर चलें
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा
त्रेतायुग में भगवान श्री राम वनवास काटकर अयोध्या में चौदह वर्ष बाद वापस आए थे, लेकिन कलियुग में इनके मंदिर निर्माण में लगभग 500 वर्ष लग गए। पांच अगस्त की तारीख भी एक ऐतिहासिक तारीख बन गई। इस शुभ घड़ी में हमारा देश राम नाम के रंग में रंग गया। इस शुभ मुहूर्त को सारी दुनिया देख रही थी। भगवान विष्णु के दो अवतार हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर बढ़ते पाप का अंत करने के लिए भगवान श्रीराम और कृष्ण जी का अवतार लिया था। अब जब पांच अगस्त 2020 को भगवान श्रीराम जी की जन्मभूमि में इनके मंदिर के निर्माण का शुभ मुहूर्त था, तो कुछ ही दिनों बाद श्री कृष्णाष्टमी भी है।
अब तक सावन के महीने में हम कृष्ण जी के जन्मदिवस पर जन्माष्टमी मनाते थे और अब इसी महीने श्रीराम के मंदिर निर्माण के शुभ मुहूर्त के कारण देवभूमि भारत के लिए यह महीना और भी विशेष हो जाएगा। हम सभी को भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना होगा, उनके जीवन से प्रेरणा लेनी होगी। सच्चाई और धर्म के रास्ते पर चलते हुए अगर कोई मुसीबत आती है तो इसके लिए भगवान श्रीराम के वनवासी जीवन को याद करना होगा।
इनके आदर्शों को अपनी जिंदगी में ढालना होगा और हमें अपने देश की सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए। तभी भगवान श्रीराम प्रसन्न होंगे और तभी भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में बनने वाले मंदिर का मकसद पूरा होगा। अंत में यह कहना उचित होगा कि भगवान श्री राम सबके हैं, इनके नाम और मंदिर पर बिलकुल भी राजनीति नहीं होनी चाहिए।
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