टोक्यो ओलंपिक उम्मीदों को परवान चढ़ाएगा इस बार कुश्ती में द्रोणाचार्य, सुजीत मान प्रबल दावेदार

By: Aug 7th, 2020 6:26 pm

नई दिल्ली – कुश्ती भारत का एकमात्र ऐसा खेल है जिसमें देश ने पिछले तीन ओलम्पिक में पदक जीते हैं और टोक्यो ओलम्पिक में पदक उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए इस बार कुश्ती में किसी कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलना जरूरी है। 29 अगस्त को खेल दिवस के दिन राष्ट्रपति खिलाड़ियों और कोचों को राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड और अर्जुन अवार्ड प्रदान करेंगे। भारत के चार पहलवान पिछले वर्ष की विश्व चैंपियनशिप के पदक के बदौलत टोक्यो ओलम्पिक का कोटा हासिल कर चुके हैं और अगले वर्ष होने वाले क्वालीफायर में देश को और कोटा मिलने की उम्मीद है। टोक्यो ओलम्पिक में पदक की सबसे बड़ी उम्मीद बजरंग पुनिया और ओलम्पिक में पदक जीत चुके सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे दिग्गज पहलवानों के साथ राष्ट्रीय शिविर में कोच रह चुके सुजीत मान इस साल दिये जाने वाले द्रोणाचार्य पुरस्कारों की होड़ में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

भारतीय कुश्ती महासंघ और रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सुजीत मान का नाम खेल मंत्रालय को भेजा है। कुश्ती में पिछले दो वर्षों में किसी कोच को द्रोणाचार्य नहीं मिला है। श्रेष्ठ गुरु को दिए जाने वाले द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए 63 आवेदन मिले हैं, जिनमें से पांच गुरुओं का चयन किया जाना है। कुश्ती द्रोणाचार्य के लिए दावा पेश करने वालों में पांच नामों के बीच करीबी टक्कर है और सुजीत मान का दावा इसलिए सबसे मजबूत माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने एक पहलवान के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है और कोच रहते उन्होंने देश को अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाने वाले कई नामी पहलवानों को प्रशिक्षित किया है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि फिजिकल फॉउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) ने गत वर्ष अपने राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सुजीत को कुश्ती में सर्वश्रेष्ठ कोच के पुरस्कार से नवाजा था।  43 वर्षीय सुजीत ने शुक्रवार को कहा, “यह लगातार तीसरा साल है जब मैंने अपना नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए भेजा है। मैंने 2018 और 2019 में भी अपना नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए भेजा था। उन दोनों वर्षों में मेरे सबसे ज्यादा अंक थे और इस बार भी मेरे सबसे ज्यादा अंक बनते हैं। पिछले दो वर्षों में यह अवार्ड न मिलने से मुझे काफी निराशा हुई थी लेकिन इस बार मैं उम्मीद कर रहा हूं कि चयन पैनल मेरे नाम पर गंभीरता से विचार करेगा।

यह पुरस्कार मुझे टोक्यो ओलम्पिक के लिए और अच्छा करने की प्रेरणा देगा ताकि देश लगातार चौथे ओलम्पिक में कुश्ती में पदक जीत सके।” 2008 ओलम्पिक में सुशील ने, 2012 ओलम्पिक में सुशील और योगेश्वर ने तथा 2016 ओलम्पिक में साक्षी मलिक ने पदक जीते थे।


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