मंदा पड़ा धंधा: सेब कंपनियों ने दो रुपए और कम किए दाम, बागबान मायूस  

By: Sep 13th, 2020 12:06 am

सितंबर माह में सेब मंडियों में छाई मंदी सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इस कारण से ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागबान काफी मायूस हैं। इस तरह से अगस्त माह में मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागबानों के सेब के दाम तीन हजार प्रति पेटी तक पहुंच गए थे, तो ऊंचाई वाले क्षेत्रों के बागबान भी इस वर्ष सितंबर माह में भी फसल कम होने के कारण अच्छे दाम मिलने की उम्मीद लगा रहे थे, लेकिन सितंबर माह में सेब कंपनियों के रेट खोलने के बाद बाजार मे लगातार हर दिन मंदी जारी है जो कि ऊपर उठने का नाम ही नहीं ले रही है।

मार्केट में घट रहे सेबों के दाम को देखते हुए अब सेब कंपनियों ने भी अपने दामों में दो रुपए की कटौती कर दी है। मौजूदा समय में कंपनियों का रेट 15 से लेकर 88 रुपए किलो तक है,जबकि मंडियों पांच सौ  रुपए प्रति पेटी से शुरू होकर दो हजार रुपए तक बिक रहा है। अदानी और बीजा सीए स्टोर बीथल द्वारा सुपर क्वालिटी का सेब अब 86 रूपए प्रति किलो तथा देव भूमि कोल्ड चैन मतियाना द्वारा 88 रुपए प्रति किलो लिया जा रहा है।

बताते चले कि कंपनियों द्वारा साइज, कलर और क्वालिटी के आधार पर सेब के रेट तय किए जाते है जो कि अब 15 रुपए से लेकर 88 रुपए तक है। इस सीजन में पहले उंचे दामो के चलते सेब कंपनिया भी रेट नही खोल पा रही थी सितंबर माह के आगाज पर जब कंपनियों द्वारा रेट तय किए गए थे, तो रेट मार्केट के अनुसार कम थे। इस कारण शुरूआती दिनो मे कंपनियो को माल नहीं आ रहा था, लेकिन जैसे ही मार्केट डाउन होने लगी कंपनियों को माल बढ़ने लगा। अभी पिछले तीन-चार दिनों से बागबान बड़ी सख्या में कंपनियों का रुख करने लग गए है और अब कंपनियों का भी कम दामों में अपने सीए स्टोर भरने की उम्मीद जग गई है।

रिपोर्ट : निजी संवाददाता, मतियाना

किन्नौर की पहली मंडी

एपीएमसी का किन्नौर जिला में पहला फल एवं सब्जी मंडी ने काम शुरू कर दिया है। एपीएमसी के चेयरमैन नरेश शर्मा सहित प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी व एपीएमसी के ड्रायरेक्टर बीरबल नेगी सहित परविंदर नेगी के टापरी फल एवं सब्जी मंडी यार्ड पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 27 फल विक्रेताओं को लाइसेंस वितरित किए। इस अवसर पर एपीएमसी के चेयरमैन नरेश शर्मा ने कहा कि टॉप क्वालिटी की सेब की विक्री टापरी फल एवं सब्जी मंडी से होगी। इसे प्रचारित करने के लिए एपीएमसी तेजी से कार्य भी करेगी। टापरी फल एवं सब्जी मंडी में भी प्रदेश के अन्य एपीएमसी की मंडियों की तर्ज पर सेब गढ़ रेट पर ही बिकेंगे। गढ़ रेट पर सेब बिकने से बागबानों को अधिक लाभ होता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री जय ठाकुर ने टापरी सब्जी मंडी का ऑनलाइन उद्घाटन किया था। पूर्व में प्रदेश की भाजपा सरकार ने ही टापरी सब्जी मंडी की नींव रखी थी और आज इसे जनता के लिए समर्पित भी किया। इस फल व सब्जी मंडी के खुलने से किन्नौर जिले के बागबानों को अपने उत्पात बेचने के लिए दूर नहीं जाना पडे़गा। एपीएमसी द्वारा टापरी सब्जी मंडी को देश व प्रदेश में अच्छी पहचान दिलाने के लिए वेबसाइट का भी सहारा लेगी। उन्होंने कहा कि किन्नौर का सेब क्वालिटी का होता है। ऐेसे में बागबानों को सेब का अच्छा दाम घर द्वारा पर ही मिले इसका प्रयास तेजी के साथ किया जाएगा।

रिपोर्ट : दिव्य हिमाचल ब्यूरो-रिकांगपियो

पौंग किनारे फिर बिजाई

एक हजार किसानों को मिला बिजाई का हक, हजारों क्विंटल गेहूं की होगी पैदावार

कुछ साल पहले पौंग बांध के किनारों पर खेती करने पर रोक लग गई थी। इससे सैकड़ों किसान मायूस थे,लेकिन अब इस इलाके में खेती करने को मंजूरी मिल गई है। इससे एक हजार किसान फिर से आने वाले सीजन में गेहूं बीज पाएंगे। एक अनुमान के अनुसार पौंग बांध के किनारों पर 35 हजार क्विंटल गेहूं होती है। यहां तूड़ी इतनी होती है कि हिमाचल को सप्लाई के बाद पंजाब में इसकी आपूर्ति की जाती है। कई किसान ऐसे हैं,जो अकेले 200 कनाल तक जमीन बीजते हैं।  बिजाई की मंजूरी मिलने के बाद नगरोटा सूरियां   के मिलन पैलेस में कार्यक्रम हुआ,जिसमें सैकड़ों किसानों ने शिरकत की।

कार्यक्रम भाजपा नेता संजय गुलेरिया की अगवाई में हुआ।  संजय गुलेरिया ने कहा कि उन्होंने इस मसले को वन मंत्री राकेश पठानिया और सीएम के समक्ष उठाया था। पठानिया ने उस समय उचित कार्रवाई का  वादा किया था,जो अब पूरा हो गया है। गौर रहे कि पौंग किनारे बिजाई थमने से सैकड़ों किसानों में निराशा का आलम था। लोगों में रोष बढ़ा तो कई लोग इस मसले पर किसानों के पक्ष में भी आ गए थे। दूसरी ओर भाजपा नेता संजय गुलेरिया ने अपनी माटी टीम को बताया कि वह किसानों के हकों की खातिर कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह पौंग किनारों पर खेती की मंजूरी देने के लिए मुख्यमंत्री के आभारी हैं।

आपको यह स्टोरी कैसी लगी, आप 8628805764 नगरोटा सूरियां से रामस्वरूप शर्मा की रिपोर्ट

कांगड़ा के फतेहपुर में पीला पड़ा उड़द

बीज का भी हुआ खात्मा, कृषि विभाग भी नहीं कर पाया किसानों की मदद

हिमाचल में इन दिनों फसलों पर मानों साढ़ेसती चल रही है। किसान अभी मक्की का मातम मना भी न पाए थे कि उड़द की फसल के पत्ते पीले पड़ने लगे हैं। देखिए जवाली से यह रिपोर्ट

हिमाचल में पहाडों से लेकर मैदानी इलाकों तक उड़द की खूब फसल होती है। निरोगी मानी जाने वाली इस फसल को कई किसान बीजना नहीं भूलते, लेकिन इस बार उड़द की फसल को भी भयंकर रोग ने घेर लिया है। किसानों की लगातार शिकायतों के बाद अपनी माटी टीम ने कांगड़ा जिला के फतेहपुर इलाके का दौरा किया। वहां पट्टा जाटियां व टकोली गिरथां  के किसानों ने बताया कि उनकी 100 कनाल जमीन पर उड़द की फसल के पत्ते पीले पड़ गए हैं। इससे फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। किसानों को डर है कि इस बार वे बीज के लिए भी  उड़द हासिल नहीं कर पाएंगे।  उन्होंने ओपन मार्केट से बीज खरीदा था। अगर महकमे ने उन्हें बीज मुहैया करवाया होता तो वे ओपन मार्केट से बीज खरीदते ही नहीं। किसान सतपाल रघुनाथ सिंह, राकेश कुमार  ने कहा कि उन्हें हजारों रुपए का नुकसान हुआ है।   किसानों के अनुसार उन्होंने कृषि हेल्पलाइन नंबर पर भी बात की थी,लेकिन कुछ हासिल न हो सका। सरकार को चाहिए कि उनके नुकसान का आकलन करके मुआवजा प्रदान किया जाए।

मिलिए हर तीसरे दिन डेढ़ क्विंटल भिंडी तोड़ने वाले दो भाइयों से

कोरोना वायरस के चलते निजी क्षेत्रों में काम करने वाले आजकल बेहद सकते में हैं। निजी कंपनियों से कर्मचारियों की छुट्टी की जारी रही,काम धंधे बिलकुल ठप पड़े हुए हैं। सवाल यह बन चुका की आखिर इंसान आजीविका किन साधनों से कमाए। वहीं फतेहपुर ब्लॉक ग्राम पंचायत बड़ी बतराहन के सगे भाइयों प्रदीप कुमार उर्फ कूका उसके छोटे भाई लक्की ने इस दौर में सब्जी उत्पादन करके एक मिशाल बनाई है। युवाओं ने दस कनाल जमीन में भिंडी उगाई और हर तीसरे दिन डेढ़ क्विंटल की पैदावार निकालकर आजीविका कमा रहे हैं।

प्रदीप कुमार का यह व्यसाय नहीं, लेकिन संक्त्रमण रोग में लॉक डाउनलोड रहने की बजह से उसका कारोबार भी बंद पड़ा गया था। नतीजन उसने भिंडी सब्जी की फसल उगाने का फैसला लिया। कूका सब्जी उत्पादन ही नहीं कर रहा वर्षों से लिची की खेती करके भी इलाके में नाम कमा रहा है। राष्ट्रवादी सोच के मालिक युवा किसान का कहना कि पिछले कुछ सप्ताह से भिंडी के अच्छे दाम भी सब्जी मंडी में मिल रहे जिसके  चलते उनका लगाव खेतीबाड़ी प्रति और भी बड़ा है। उसका कहना कि वह प्राकृतिक खेतीबाड़ी पर ज्यादा विश्वास करता है।

सब्जियों,फलों पर कीटनाशक,दवाइयों का उपयोग किया जाना वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानता है।प्रदीप कूका ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि बक्त जैसा भी आए इनसान को हिम्मत से काम लेना चाहिए। बेरोजगारी का रोना रोने से कहीं बेहतर की सब्जी उत्पादन को अपनी आजीविका का साधन बनाया जाए।

रिपोर्ट : सुखदेव सिंह, नूरपुर

जायका की गोरड़ा सिंचाई बहाव सिंचाई योजना बनी किसानों के लिए वरदान

जिला की बहाव सिंचाई योजना गोरड़ा फसल विविधिकरण की सफल कहानी ब्यां करती है। इसका निर्माण हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना जाइका के तहत खंड परियोजना प्रबंधक इकाई नूरपुर द्वारा करवाया गया है। अब इस परियोजना से सभी लाभार्थी कृषक सब्जियां लगाकर खूब मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। कृषक विकास संघ द्वारा फसल विविधिकरण के लिए समुदाय प्रेरक की नियुक्ति भी की गई थी।

फसल विविधिकरण का प्लान भी लाभार्थी कृषकों के सहयोग से बनाया गया। किसानों की हर शिकायतों का समाधान किया गया। वर्तमान में 18.60 हेक्टेयर भूमि पर नकदी सब्जियां उगाई जा रही है। किसानों बलबीर सिंह, सीमा देवी, मनजीत सिंह, स्वरूप, जोगिंद्र इत्यादि ने भिंडी तथा अन्य उच्च वर्गीय सब्जियां लगाई है तथा सभी भरपूर आमदनी अर्जित कर रहे हैं। गोरड़ा के एक प्रगतिशील किसान बुद्धि सिंह ने अपनी जमीन पर पांच कनाल में भिंडी की बुआई की थी। जायका के सहयोग से खेती के नवीनतम तरीके अपनाकर उसने छह क्विंटल भिंडी का उत्पादन किया है। इस किसान ने इसे करीब 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बेचा। रिपोर्टः हैडक्वार्टर ब्यूरो-कांगड़ा

भरमौर में भरमाणी मंदिर किनारे लहलहाई सब्जियां

इस बार मणिमहेश यात्रा आधी अधूरी हुई,लेकिन अपनी माटी टीम अपने दर्शकों को खेती की एक सक्सेस स्टोरी के जरिए भरमौर के विख्यात भरमाणी मंदिर के दर्शन करवा रही है। देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट

मणिमहेश यात्रा से पहले हजारों भक्त भरमौर में  मां भरमाणी के दर्शन करते हैं। भरमौर में ऊंची पहाड़ी पर मां भरमाणी विराजमान हैं। इसी पहाड़ी के आसपास हमारे दर्शकों ने बंजर भूमि देखी होगी। इस भूमि पर इन दिनों गोभी, फ्रांसबीन और आलू जैसी फसलें लहलहा रही हैं। यह सब कर दिखाया है  भरमौर के स्वयंसेवी संगठन शिवभूमि सेवादल समिति खड़ामुख  ने।इस संगठन के सदस्य इन दिनों पहाड़ी करीब 12 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं। पहाड़ी पर प्राकृतिक खेती से तैयार फ्रांसबीन,बंद गोभी, फूल गोभी और मूली धड़ाधड़ बिक रही हैं। यही नहीं, इस दल के सदस्य लोगों को होम डिलीवरी भी कर रहे हैं।

खास बात यह कि यहां तैयार आलू की डिमांड दूसरे जिलों से भी आ रही है।  शिवभूमि सेवादल समिति के सचिव बाली शर्मा बताते हैं कि उन्होंने जमीन में सोलर फेंसिंग भी कर ली है। आने वाले समय में और बेहतर पैदावार की उम्मीद है। गौर रहे कि मणिमहेश या अन्य यात्राओं के दौरान चंबा आने वाले हजारों लोग पहाड़ी सब्जियां अपने साथ लाना नहीं भूलते। ऐसे नजारे चुवाड़ी जोत से लेकर भरमौर तक देखे जा सकते हैं,जहां पहाड़ी किसानों के हाथों से तैयार प्योर नैचुरल सब्जियां लोग हाथों हाथ खरीद लेते हैं।  अपनी माटी के तमाम दर्शकों से अपील है कि वे इस स्टोरी पर अपना कमेंट जरूर दें।

सीधे खेत से

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