समुद्र मंथन से निकले रत्न ‘गोमती चक्र’ का महत्त्व

By: Sep 19th, 2020 12:30 am

हिंदू धर्म में गोमती नदी का बड़ा महत्त्व है। हमारी पांच सबसे पवित्र नदियों में से एक गोमती भी है। मान्यता है कि गोमती महर्षि वशिष्ठ की पुत्री थी जो बाद में नदी के रूप में परिणत हो गई। इसी पवित्र नदी के अंदर एक विशेष पत्थर पाया जाता है जिसे हम गोमती चक्र के नाम से जानते हैं। यह पत्थर उतना कीमती तो नहीं होता, किंतु बहुत दुर्लभ होता है। यह कैल्शियम का पत्थर होता है जिसमें चक्र का निशान होता है जो इसके नाम का मुख्य कारण है। हिंदू धर्म में गोमती चक्र का बड़ा महत्त्व है। विशेष रूप से ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत पवित्र माना जाता है। मुख्य रूप से गोमती चक्र श्रीहरि और श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है।

84 रत्नों में से एक गोमती चक्र

पुराणों में भी गोमती चक्र की उत्पत्ति की कथा दी गई है। इसे हिंदू धर्म में वर्णित 84 रत्नों से एक माना गया है। यह कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। समुद्र मंथन के विषय में हम सभी जानते हैं, किंतु आम मान्यता यह है कि समुद्र मंथन से कुल 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। किंतु पुराणों में वर्णित है कि समुद्र मंथन से इन 14 ‘मुख्य’ रत्नों के अतिरिक्त 70 और रत्न निकले थे। इस प्रकार उस समुद्र मंथन से कुल 84 रत्नों की प्राप्ति हुई थी, किंतु मुख्य रत्नों में केवल 14 की गिनती होती है।

श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र को समुद्र पर चलाया

गोमती चक्र भी उन्हीं 84 रत्नों में से एक माना जाता है। ऐसी कथा है कि जब समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हो गई, तब उसके समापन की बात उठी। किंतु देवों और दैत्यों ने यह सोचकर कि अभी उन्हें और रत्नों की प्राप्ति होगी, समुद्र मंथन जारी रखा। किंतु दोनों पक्ष बहुत श्रमित थे और अब मंदराचल पर्वत और वासुकि नाग को संभाल कर रखना उनके लिए अत्यंत कठिन हो गया। धरती माता भी मंदराचल के घर्षण और गर्जन से तप्त हो गई। तब उन्होंने एक गाय का रूप लिया और भगवान विष्णु के पास पहुंची और उन्होंने अपनी व्यथा उन्हें बताई। तब श्रीहरि ने अपने सुदर्शन चक्र को समुद्र पर चलाया जिससे एक महान चक्रवात उत्पन्न हुआ। वह चक्रवात इतना भयानक था कि उसके वेग से संपूर्ण मंदराचल पर्वत वासुकि नाग सहित समुद्र के ऊपर आ गया। इसके बाद उस महान आयुध सुदर्शन चक्र की शक्ति से मंदराचल स्वतः ही घूमने लगा और उसी वेग से समुद्र मंथन होने लगा।

समुद्र मंथन स्वतः रुक गया

तब उस समुद्र मंथन से समुद्र के अंदर के बहुमूल्य पत्थर, मणियां, धातु और शंख इत्यादि स्वतः समुद्र से बाहर आने लगे। अंत में घर्षण इतना तेज हो गया कि समुद्र से निकले धातु उसके ताप से पिघल गए और समुद्र के सतह पर वृत्ताकार रूप में जम गए। उनकी संख्या इतनी अधिक हो गई कि वह चक्रवात भी थम गया और समुद्र मंथन स्वतः ही रुक गया। चूंकि धरती माता के कारण श्रीहरि ने वह श्रम किया था, उस रत्न का नाम ‘गोमातृका’ पड़ा। समय के साथ उस गोमातृका को गोमती चक्र के नाम से जाना जाने लगा। एक और कथा के अनुसार गोमती चक्र श्रीकृष्ण के प्रमुख आयुधों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि गोमती चक्र को भी श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र की भांति ही धारण करते थे। उसके उपयोग का तरीका भी वही था जो सुदर्शन चक्र के उपयोग का था। हालांकि गोमती चक्र सुदर्शन चक्र के जितना शक्तिशाली तो नहीं था, किंतु फिर भी यह श्रीकृष्ण के प्रमुख अस्त्रों में से एक माना जाता है। महाभारत में श्रीकृष्ण के द्वारा गोमती चक्र के उपयोग का वर्णन शाल्व और पौंड्रक के विरुद्ध युद्ध में किया गया है।

लक्ष्मी पूजा में गोमती चक्र का महत्त्व

ज्योतिष में गोमती चक्र का बहुत महत्त्व है। इसके अतिरिक्त तांत्रिक विद्या में भी इसका बहुत प्रयोग किया जाता है, किंतु इस आलेख में हम स्थानाभाव के कारण गोमती चक्र के किसी तांत्रिक प्रयोग का वर्णन नहीं करेंगे। लगभग हर प्रमुख हिंदू त्योहार पर गोमती चक्र का उपयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गोमती चक्र माता लक्ष्मी को रोकने के लिए उपयोग में लाया जाता है। अर्थात अगर किसी का खर्च बहुत अधिक हो अथवा ऋण में डूबा हो तो गोमती चक्र को पास में रखने का विशेष प्रावधान है। लक्ष्मी पूजा, विशेषकर दीपावली में गोमती चक्र का बड़ा महत्त्व माना जाता है। इसके अतिरिक्त भी गोमती चक्र के कई ज्योतिष उपयोग हैं। गोमती चक्र को माला अथवा अंगूठी के रूप में पहना जाता है।

चिकित्सा शास्त्र में उपयोग

इन सब के अतिरिक्त चिकत्सा शास्त्र में भी गोमती चक्र का उपयोग किया जाता है। तांबे के बर्तन में पानी के साथ गोमती चक्र को रात भर रख कर सुबह उस पानी को पीने से कई रोगों का निदान होता है। किंतु सदैव यह ध्यान रखें कि रुद्राक्ष की ही भांति खरीदते समय नकली गोमती चक्र से बचें। आज बाजार में मिलने वाले 90 फीसदी गोमती चक्र नकली और महंगे होते हैं। गोमती चक्र की कीमत 500 रुपए से कम ही होती है, इसीलिए अगर इससे महंगा गोमती चक्र देखें तो सावधान हो जाएं। इसके अतिरिक्त जब भी गोमती चक्र खरीदें, प्रामाणिक विक्रेताओं से ही खरीदें।


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