हर बच्चे पर रखें नजर…कोई भी न छूटे

सीएमओ आफिस में कार्यशाला में बोलीं सीएमओ अर्चना सोनी, आशा कार्यकर्ता घर-घर कर रहीं स्क्रीनिंग

स्टाफ रिपोर्टर-हमीरपुर-मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डा. अर्चना सोनी की अध्यक्षता में सीएमओ कार्यालय सभागार में वर्तमान में चल रहे पोषण माह अभियान के अंतर्गत तीन वेबिनार कार्यशालाओं का आयोजान किया गया। यह कार्यशालाएं जिला भर के सभी पीएचसी के मेडिकल आफिसर, स्वास्थ शिक्षक, स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों, महिला व पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित की गई। ऑनलाइन आयोजित इस कार्यशाला में  जिला भर से 185 से अधिक स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सा अधिकारियों व कर्मचारियों ने ज्वाइंन किया। सुजानपुर, नादौन ब्लॉक, बडसर और भोरंज, गलोड़ और टौणीदेवी के स्टाफ के लिए यह कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अर्चना सोनी ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण अभियान वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया और इसमें कई मंत्रालय व विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं।

इसका मकसद 2022 तक देश को कुपोषण मुक्त बनाना है। उन्होंने बताया कि इसमें 315 जिले 2017-18, 2018-19 में 235 व शेष 2019-20 में जिलों सहित 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश कवर होंगे और दस करोड़  महिलाओं और बच्चों तक पहुंच होगी। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता घर-घर भ्रमण कर रही हैं व सभी बच्चों की स्क्रीनिंग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई बच्चा कुपोषण से पीडि़त है, तो उसे सैम, मैंम की श्रेणी में चिन्हित करें। कोई बच्चा छूटें न और चिन्हित सभी बच्चों को फ्री इलाज हेतु एनआरसी न्युत्रिसनल रिहेब्लीटेसन सेंटर हमीरपुर में भेजें व इलाज सुनिश्चित करवाएं। इसके अतिरिक्त गर्भवती व धात्री माताओं के पोषण स्तर पौष्टिक भोजन स्तनपान, यंग चाइल्ड फीडिंग, स्वच्छता, हैंड वॉशिंग, किशोरी स्वास्थ्य में निरंतर जागरूकता करें।

नवजात बच्चों को सही समय पर स्तनपान व स्वच्छता, आहार आदि सभी उपायों से कुपोषण से मुक्त करवा पाएंगे। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. अरविंद कौंडल व जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सतीश शुक्ला ने पावर प्वाइंट के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण मिशन, पोषण माह सहित सभी पहलुओं बारे में ट्रेनिंग दी। डा. अरविंद कौंडल ने कुपोषण होने के कारणों, स्तनपान के महत्त्व, स्टंटड ग्रोथ, महावारी  स्वच्छता व इससे जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं बारे जानकारी दी। वहीं जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सतीश शुक्ला ने बताया कि उद्देश्य 0.6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन को कम करन व दो प्रतिशत 0.6 वर्ष के बच्चों में पोषण की कमी के कारण वजन की कमी की समस्या में कमी लाना व दो प्रतिशत प्रति वर्ष करना, पांच से 59 महीने के छोटे बच्चों में रक्त की कमी की समस्या में कमी लाना तीन प्रतिशत प्रतिवर्ष लाना, नवजात शिशु के जन्म के समय वजन में कमी की समस्या में कमी लाना आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी।