19444 करोड़ में खरीदा जाएगा धान, एनसीडीसी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दी मंजूरी

By: एजेंसियां — नई दिल्ली Sep 28th, 2020 3:05 pm

नई दिल्ली — राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने छत्तीसगढ़, हरियाणा और तेलंगाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस वर्ष खरीफ सत्र में धान की खरीद के लिए 19444 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी करने को मंजूरी दी है । कृषि मंत्रालय के अनुसार यह राशि इसलिए मंजूर की गई है, ताकि राज्यों के मार्केटिंग महासंघों (फेडरेशनों )को अपने सहकारी संगठनों के जरिए समयबद्ध ढंग से धान की खरीद करने की प्रक्रिया में सहायता मिले। छत्तीसगढ़ के लिए सबसे अधिक 9000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। हरियाणा के लिए 5444 करोड़ रुपए और तेलंगाना के लिए 5500 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई हैं।

कोविड महामारी के दौरान एनसीडीसी की ओर से उठाये गये इस कदम से इन तीनों राज्यों के किसानों को बेहद जरूरी वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। उचित समय पर उठाए गए इस कदम से राज्यों की एजेंसियां तत्काल खरीद प्रक्रिया को शुरू कर सकेंगी। इससे किसानों को सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने में जरूरी सहायता मिलेगी।

रसायनिक खाद के प्रयोग से घट रही है मिट्टी की उवर्रक क्षमता
सहारनपुर — रसायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए मंडलायुक्त संजय कुमार ने सोमवार को यहां कहा कि इस खाद के इस्तेमाल से भूमि की उत्पादन क्षमता मे निंरतर घट रही है। उन्होंने कहा कि खेत की मिट्टी की उवर्रकता और पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के लिए किसानों को वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएं।

मंडलायुक्त ने कहा कि किसान पैदावार बढ़ाने एवं फसलों को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए अंधाधुंध रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता घटने के साथ-साथ खेतों के मित्र कीट भी नष्ट हो रहे हैं। इतना ही नहीं खेतों में बढ़ते रसायनिक प्रभावों के कारण मनुष्य के शरीर पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है।

श्री संजय कुमार आज यहां अपने कैम्प कार्यालय पर कृषि विशेषज्ञों के साथ वर्मी कम्पोस्ट खाद की की वितरण की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंचुआ खाद बनाने से किसान की फसल में लागत कम आएगी। यह खाद पूरी तरह जैविक होगी। इसके इस्तेमाल करने से मानव शरीर पर भी कोई कुप्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से फसलों में किसान को महंगा खाद एवं कीटनाशक खरीदने से मुक्ति भी मिलेगी।

उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन कर और अधिक लाभ कमा सकतें है। मंडलायुक्त ने कहा कि भूमि की उर्वर क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार वर्मी कम्पोस्ट योजना के तहत केंचुआ खाद बनाए जाने पर जोर दे रही है। इसके लिए किसानों को अपने खेतों में केंचुआ खाद बनाने के लिए हर संभव मदद दी जाएंगी। मिट्टी की उर्वरता में जिस एक जीव की सर्वाधिक भूमिका होती है, वह केंचुआ है।

इसकी खूबियों के कारण ही इसे प्रकृति का हलवाहा कहा जाता है। ये केंचुए पौधों के जड़, पत्ती, तने एवं खेत के अन्य कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके उसे कीमती खाद में परिवर्तित कर देते हैं। केंचुओं द्वारा तैयार यह खाद खेतों के लिए अत्यंत ही लाभकारी है।

कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ विमल सिंह चौहान ने मंडलायुक्त को वर्मी कम्पोस्ट खाद के समबन्ध में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही इसके इस्तेमाल से होने वाले उत्पाद की गुणवत्ता एवं क्षमता के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि रसायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी में जिंक एवं सल्फर की कमी हो रही है। जिसका असर हमारी आने वाली नस्लों पर होगा।

उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग आज समय की आवश्यकता है। मंडलायुक्त ने अपने कैम्प कार्यालय में वर्मी कम्पोस्ट खाद के स्टॉल का शुभारंभ किया।


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