अब हर 10 किलोमीटर पर बनेगी डंपिग साइट्स, खड्डों में फेंके जा रहे अपशिष्ट को लेकर एनजीटी ने दिखाई सख्ती

By: हैडक्वार्टर ब्यूरो — कांगड़ा Sep 18th, 2020 12:07 am

कांगड़ा जिला में नदी, नालों व खड्डों में फेंके जा रहे अपशिष्ट को लेकर एनजीटी ने दिखाई सख्ती

अब कांगड़ा जिले में हर 10 किलोमीटर दूरी पर कंस्ट्रक्शन और विध्वंस अपशिष्ट को लेकर डंपिंग साइट्स बनेंगी। नदी, नालों व खड्डों आदि में फेंके जा रहे इस तरह के अपशिष्ट को लेकर एनजीटी ने सख्ती दिखाई है। एनजीटी के निर्देशों के बाद एडीएम कांगड़ा की अध्यक्षता में बनी कमेटी इस पर कार्य कर रही है। इसमें सभी एसडीएम, डीएफओ, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी व एमसी के ईओ शामिल हैं। हर सब-डिवीजन इस पर काम कर रहे हैं। गुरुवार को इसकी समीक्षा के लिए एक महत्त्वपूर्ण बैठक भी हुई। इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी शामिल हुए।

बैठक में कमेटी के मेंबर्स को जल्द से जल्द निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के लिए डंपिग साइट्स का चयन कर इसकी रिपोर्ट सबमिट करने को कहा गया है। अब कमेटी की आगामी त्रैमासिक बैठक में उपमंडल अधिकारी रिपोर्ट पेश करेंगे। वहीं ये भी प्रयास किए जा रहे हैं कि इन साइट्स के लिए वन भूमि का कम से कम चयन किया जाए, क्योंकि क्लीयरेंस का पेंच योजना को अमलीजामा पहनाने में विलंब पैदा कर सकता है। अकसर देखने को मिलता है कि लोग अपने घरों की कंस्ट्रक्शन वर्क के दौरान वेस्ट मैटीरियल को यहां तो नदी-नालों किनारे फेंक देते हैं या फिर सड़क किनारे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कांगड़ा जिले में सड़क किनारे ऐसे अपशिष्ट के लिए डंपिंग साइट्स बनेंगी।

 नदी-नालों व खड्डों में वेस्ट फेंकने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी। बहरहाल जिला भर में हर दस किलोमीटर दूरी पर ऐसी डंपिंग साइट्स का चयन करने के लिए संबंधित अधिकारी जुट गए हैं। उल्लेखनीय है कि निर्माण में तेजी और तेजी से शहरीकरण ने भारी अपशिष्ट उत्पादन को जन्म दिया है। विध्वंस के कारण मलबे में गैर बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों जैसे कंकरीट, सीमेंट प्लास्टर, प्लास्टिक, लकड़ी, धातु आदि शामिल हैं, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। ऐसे में निमार्ण में हो रही तेजी से आने वाले वर्षों में कचरे का निर्माण और परिणामी उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। जल्द ही पूरे कांगड़ा जिले में हर दस किलोमीटर दूरी पर ऐसी साइट्स नजर आएंगी, जहां कंस्ट्रक्शन और विध्वंस अपशिष्ट  को डंप किया जाएगा।


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